नई दिल्ली : चुनाव सुधारों को लेकर चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामा किया है. अपने हलफनामे में आयोग ने नेताओं और नौकरशाहों के खिलाफ चल रहे मुकदमों की सुनवाई एक साल में पूरा करने के लिये स्पेशल फास्ट कोर्ट बनाने की मांग का समर्थन किया है. साथ ही सजायाफ्ता व्यक्ति के चुनाव लड़ने, राजनीतिक पार्टी बनाने और पार्टी पदाधिकारी बनने पर आजीवन प्रतिबंध लगाए जाने का भी समर्थन किया है.
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि उसने चुनावों में डिक्रिमिनलाइजेशन के लिए कानून मंत्रालय को प्रस्ताव भेजे हैं लेकिन वो अभी पेंडिंग हैं. इसके अलावा पेड न्यूज पर प्रतिबंध लगाने, चुनाव से 48 घंटे पहले प्रिंट मीडिया में विज्ञापनों पर प्रतिबंद्ध लगाने, घूस लेने को संज्ञानीय अपराध बनाने और चुनाव खर्च के प्रावधानों में संशोधन के प्रस्ताव शामिल हैं.
हालांकि चुनाव लड़ने के लिये न्यूनतम शैक्षिक योग्यता और अधिकतम आयु सीमा निर्धारित किए जाने की मांग पर चुनाव आयोग का कहना है कि ये उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है. इसे लेकर विधायी कानून बनाया जा सकता है. दरअसल बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में मांग की है कि नेताओं और नौकरशाहों के खिलाफ चल रहे मुकदमों की सुनवाई एक साल में पूरा करने के लिये स्पेशल फास्ट कोर्ट बनाया जाये.
याचिका में ये भी कहा गया है कि सजायाफ्ता व्यक्ति के चुनाव लड़ने, राजनीतिक पार्टी बनाने और पार्टी पदाधिकारी बनने पर आजीवन प्रतिबंध लगाया जाये. चुनाव लड़ने के लिये न्यूनतम शैक्षिक योग्यता और अधिकतम आयु सीमा निर्धारित किया जाये और चुनाव आयोग, विधि आयोग और जस्टिस वेंकटचलैया आयोग के सुझावों को तत्काल लागू किया जाये.