लखनऊ: उत्तर प्रदेश में शासन करने का योगी फॉर्मूला क्या है ? योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल में जो नए-नए चेहरे दिख रहे हैं उनकी जिम्मेदारी क्या होगी ? क्या सिर्फ विभाग देकर योगी मंत्रियों से उसका हिसाब मांगते रहेंगे या फिर उससे आगे की सोच रहे हैं.
मोदी और अमित शाह क्या सोच रहे हैं. दरअसल सत्ता चलाने का अपना अलग मिजाज होता है और सत्ता को बनाए रखने का अपना अलग मिजाज होता है. यूपी में योगी मंत्रिमंडल दोनों को मिलाकर बना हुआ दिखता है. सत्ता में रहना है विकास करना है और इससे आगे बहुत आगे की सोचना है.
क्या कहता है योगी का समाजशास्त्र ?
उत्तर प्रदेश में सियासत की जो तस्वीर दिखी वो सिर्फ शपथग्रहण की नहीं है. ये तस्वीर सिर्फ आदित्यनाथ योगी कैबिनेट की नहीं है. ये तस्वीर सिर्फ जीत की नहीं है.ये तस्वीर सिर्फ अखिलेश राज के जाने और आदित्यनाथ के आने की नहीं है. ये तस्वीर 2019 के सियासी महाभारत की बिसात बिछ चुकी है.
2019 के सियासी महाभारत में यूपी की कमान योगी को थमाकर ये बता दिया गया है कि अगली लड़ाई यूपी में हिन्दुत्व पर लड़ी जाएगी और योगी के सेनानी अलग-अलग इलाकों की कमान संभालेंगे. मंत्रियों और कैबिनेट मंत्रियों को हमने सेनानी कहा है लेकिन समाजशास्त्री इसे योगी का समाजशास्त्र मानते हैं.
सबसे पहले पूर्वांचल की बात. पूर्वांचल में 34 लोकसभा की सीटें हैं पिछले चुनाव में बीजेपी ने 33 सीटें जीत लीं थीं और यूपी में पूर्वांचल ही वो इलाका है जहां यूपी में सबसे ज्यादा लोकसभा की सीटें हैं. कहते हैं पूर्वांचल पर जिसका कब्जा उसका यूपी पर कब्जा और जिसका यूपी पर कब्जा उसका दिल्ली की गद्दी पर कब्जा. पूर्वांचल में तो सिर्फ योगी ही काफी हैं लेकिन जातीय समीकरण को साधने की पूरी कोशिश की गई है.
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