चेन्नई: मद्रास हाईकोर्ट ने खुद को तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता का ‘गोपनीय बेटा’ बताने वाले शख्स को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने उस शख्स की तरफ से जमा कराए गए दस्तावेजों की प्रमाणिकता पर भी सवाल उठाए.
कोर्ट ने मामले में सुनवाई के दौरान उस शख्स को फटकार लगाते हुए कहा कि मैं इस शख्स को सीधे जेल भेज सकता हूं. मैं पुलिस अफसरों से कहूंगा कि उसे सीधे जेल ले जाएं. जज ने उससे कहा कि अदालत से खिलवाड़ मत करो. इसके अलावा कोर्ट ने उस शख्स को शनिवार को पुलिस आयुक्त के सामने पेश होकर उन्हें जांच के लिए मूल दस्तावेज सौंपने को कहा है.
बता दें कि जे. कृष्णामूर्ति नाम के इस शख्स ने कोर्ट में दावा करते हुए कहा है कि वह जयललिता और तेलुगू अभिनेता शोभन बाबू की संतान है. उसने कोर्ट में याचिका दायर करते हुए मांग की थी उसे जयललिता का बेटा घोषित किया जाए. साथ ही उसका कहना है कि बेटे के तौर पर जयललिता के पोएश गार्डन स्थित घर समेत उनकी संपत्तियों पर उसका हक है. इस शख्स ने अदालत से यह भी मांग की थी कि वह तमिलनाडु के पुलिस महानिदेशक को उसे सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दें क्योंकि जयललिता की सहयोगी और अन्नाद्रमुक महासचिव के शशिकला के परिवार से उसे खतरे की आशंका है.
इस शख्स ने कोर्ट याचिका में दावा किया है कि उसका जन्म 1985 में हुआ था और एक साल बाद इरोड स्थित वसंतमनि परिवार को उसे गोद दे दिया गया. वसंतमणि 1980 के दशक में पूर्व मुख्यमंत्री एमजी रामचंद्रन के यहां कथित तौर पर काम करते थे. शख्स के अनुसार ‘गोद के दस्तावेज’ पर पीछे की तरफ जयललिता, शोभन बाबू और वसंतमनि की तस्वीर और दस्तखत हैं. इस दस्तावेज में ‘गवाह’ के तौर पर एमजी रामचंद्रन के दस्तखत भी हैं.
वहीं कोर्ट ने इस पर शख्स के इस दावे पर कहा है कि जिस समय का यह कथित खत बताया जा रहा है उस समय दिवंगत मुख्यमंत्री एमजी रामचंद्रन अपना हाथ हिलाने की हालत में भी नहीं थे. कोर्ट का सुनवाई के दौरान कहा कि याचिकाकर्ता ने ‘मनगढ़ंत’ दस्तावेज बनाए हैं.