स्मृति ईरानी से लेकर अरुण जेटली तक इन नेताओं ने मंत्री बनते ही छोड़ा पहला पेशा

नई दिल्ली: नवजोत सिंह सिद्दू को पंजाब में मंत्री पद मिलने के बाद भी वह कपिल शर्मा का शो नहीं छोड़ेंगे. शो में शामिल रहने को लेकर सिद्धू ने कहा, ‘वह शो का हिस्सा बने रहेंगे. अगर मुझे समस्या नहीं है तो आप लोग क्यों चिंता कर रहे हो. अगर मुझे शो करना होगा तो मैं यहां (पंजाब) से तीन बजे निकलूंगा और सुबह किसी के भी उठने से पहले वापस आ जाउंगा.’ हम आपको ऐसे कुछ नेताओं के नाम बता रहे हैं जिन्होंने मंत्री बनने के बाद अपना पेशा छोड़ा दिया.
स्मृति ईरानी (केन्द्रीय कपड़ा मंत्री)
स्मृति ईरानी टीवी कलाकार रही हैं, उन्होंने कई टीवी सीरियल किए हैं लेकिन उन्हें एकता कपूर के शो कभी सास-कभी बहु के सीरियल से काफी लोकप्रियता मिली है. ईरानी ने 2003 में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की और दिल्ली के चांदनी चौक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा. इसके बाद उन्होंने अभिनय को अलविदा कह दिया.
बाबुल सुप्रियो (भारी उद्योग मंत्री)
बाबुल सुप्रियो मशहूर सिंगर रह चुके हैं. उन्होंने कई फिल्मों में गाने गाए हैं. इस बार लोकसभा चुनाव में आसनसोल सीट के लिए बीजेपी ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया.  काफी कांटे की टक्कर के बावजूद सुप्रियो ने करीब 74,000 वोटों के अंतर से जीत हासिल की. इसके बाद उन्हें मंत्री बनाया गया और उन्होंने गायकी को अलविदा कह दिया.
डॉ हर्षवर्धन (स्वास्थ्य मंत्री)
डॉ हर्षवर्धन मंत्री बनने से पहले ईएनटी सर्जन थे. ये बीजेपी के टिकट पर 1993 में कृष्णा नगर विधानसभा क्षेत्र से चुने गये थे और दिल्ली की पहली विधानसभा के सदस्य बने. इसके बाद उन्होंने अपनी डॉक्टरी से अलविदा कह दिया. बीजेपी की सरकार (1993-1998) के दौरान इन्होंने स्वास्थ्य मन्त्री, कानून मन्त्री और शिक्षा मन्त्री सहित राज्य मन्त्रिमण्डल में विभिन्न पदों पर कार्य कर चुके हैं.
सुरेश प्रभु (केन्द्रीय रेल मंत्री) चार्टेड अंकाउंटेंट थे मंत्री बनने के बाद प्रैक्टिस छोड़ी दी थी, अरुण जेटली (वित्त एंव रक्षा मंत्री) सुप्रीम कोर्ट में सीनीयर एडवोकेट थे मंत्री पद के बाद प्रैक्टिस छोड़ी. 1975 में इमरजेंसी के दौरान जेटली 19 महीनों के लिए जेल जाना पड़ा. जेल से निकलने के तुरंत बाद वे जनसंघ से जुड़ गये.
क्या कहा था कोर्ट ने ?
जून साल 2016 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंत्री बनने के बाद अपने पेशे को छोड़ने को लेकर फैसला सुनाया था. कोर्ट किसी भी मंत्री को कार्यकाल के दौरान किसी प्रोफेशन में जाने से रोकता है. एक मंत्री, राज्य मंत्री या उप मंत्री अपने कार्यकाल के दौरान कोई व्यापार या पेशा नहीं अपना सकता. अपने मंत्री पद के अलावा रोजगार के लिए कोई दूसरा पद ग्रहण नहीं कर सकता है.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने वकालत के पेशे से जुड़े मंत्रियो  को अपना प्रेक्टिस लाइसेंस जमा करवाने का आदेश दिए थे. कर्नाटक हाईकोर्ट का ये फैसला कर्नाटक के मुख्यमंत्री समेत सदानंद गौड़ा, मल्लिकार्जुन खडगे, विरप्पा मोइली जैसे 9 नेताओं को नोटिस भी जारी किया था. ऐसा किए जाने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 166, 168, 193, 199, 200, 409, 420, 506 और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13 (2) के अंतर्गत दोषी हैं.
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