देहरादून: उत्तराखंड में बीजेपी की संसदीय दल की बैठक में त्रिवेंद्र रावत को मुख्यमंत्री के तौर पर चुना गया है. त्रिवेंद्र रावत 18 मार्च को सीएम पद की शपथ लेंगे. बता दें कि मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में पूर्व मंत्री प्रकाश पंत और त्रिवेंद्र सिंह रावत का नाम सबसे आगे चल रहा था.
कौन हैं त्रिवेंद्र रावत ?
त्रिवेंद्र रावत उत्तराखंड में पूर्व कृषि मंत्री रह चुके हैं. उनका नाम बीज घोटाले में आ चुका है. रावत ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत आरएसएस प्रचारक के तौर पर की थी. उन्होंने बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव कई मुख्य पदों पर काम भी किया है. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने संघ के प्रचारक से लेकर सीएम तक के सफर में तमाम उतार-चढ़ाव देखे. वह 14 साल तक संघ से जुड़े रहे और फिर 1993 में बीजेपी संगठन मंत्री बने. उत्तराखंड अलग राज्य बनने के बाद 2002 में पहली बार डोईवाला से विधायक चुने गए.
19 साल की उम्र में संघ से जुड़े
20 दिसंबर 1960 को पौड़ी गढ़वाल के खैरासैंण (जहरीखाल) में फौजी परिवार में जन्में त्रिवेंद्र रावत ने पत्रकारिता से पीजी की पढ़ाई की. वह 19 साल की उम्र में संघ से जुड़े. दो साल बतौर स्वयं सेवक संघ की शाखाओं में नियमित रूप से गए और साल 1981 में संघ की नीतियों से इस कदर प्रभावित हुए कि उन्होंने बतौर प्रचारक काम करने का संकल्प लिया.
कौन-कौन सी मिल चुकी है जिम्मेदारी
1985 में उन्हें देहरादून महानगर का प्रचारक नियुक्त किया गया. साल 1993 में संघ की ओर से उन्हें भारतीय जनता पार्टी में संगठन मंत्री का दायित्व दिया गया. राज्य आंदोलन में भी त्रिवेंद्र की अहम भूमिका रही. वह कई बार गिरफ्तार हुए और जेल भी गए. साल 1997 से 2002 तक बीजेपी में उन्हें प्रदेश संगठन मंत्री बनाया गया. इस दौरान बीजेपी ने विधानसभा, लोकसभा और विधान परिषद चुनाव में बड़ी सफलता हासिल की. साल 2002 में पहले विधानसभा चुनाव में डोईवाला से चुनाव जीता और विधायक बने. साल 2007 में डोईवाला से दोबार रिकार्ड मतों से जीत दर्ज की और बीजेपी सरकार में कृषि मंत्री बने.
BJP को मिलीं 70 सीटें
उत्तरखंड की 70 विधानसभा सीटों में से बीजेपी ने 57 पर जीत हासिल की है, वहीं कांग्रेस महज 11 सीटों पर ही सिमट गई है. दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी ने शानदार जीत हासिल की है. विधानसभा की 403 सीटों में से बीजेपी को 312, कांग्रेस को 7, सपा को 47, बीएसपी को 19 और अन्य को 27 सीटें हासिल हुई हैं.