नई दिल्ली: आपने रैलियों में, सभाओं में मोदी-मोदी-मोदी की गूंज सुनी हो.लेकिन ये गूंज अब सड़क और सभा से देश की संसद तक पहुंच चुकी है. यूपी सहित पांच राज्यों के चुनाव के रिजल्ट के बाद प्रधानमंत्री मोदी जब दिल्ली में अशोका रोड पर पैदल घूम रहे थे. ये शो जीत के जश्न का था. और हर तरफ एक ही नारा था. मोदी, मोदी, मोदी.
दुनिया भर के सैफोलॉजिस्ट हैरान हैं. चुनाव में जीत की सारी स्थापित थ्योरी फेल हो रही हैं. सत्ता में आने के बाद मोदी ने कई कड़वे फैसले लिए लेकिन लोगों ने बीमारी खत्म करने के लिए कड़वी दवा पीना भी कबूल किया. ये है मोदी की लोकप्रियता. यूपी का रिजल्ट इसका सबूत है. लेकिन ऐसा क्यों ? वजहें सिर्फ इतनी नहीं कई हैं.
उस पर हम आएं उसके पहले कुछ आंकड़े आपके सामने रखना चाहते हैं. जिसके जरिए ये समझिए कि मोदी का अश्वमेध किस तरह हिन्दुस्तान जीतता जा रहा है. ये भारत का नक्शा है. केन्द्र में तो मोदी की सरकार तो है हीं. इसके अलावा जो भगवा रंग वाला हिस्सा है . ये वो राज्य है जहां बीजेपी का अभी शासन है. और, इसे प्रतिशत में निकालें तो ये देश की कुल आबादी का करीब 58 फीसदी बैठता है.
देश के हर 10 लोगो में से 6 बीजेपी के शासन के नीचे हैं. 29 में से 11 राज्यों में बीजेपी की अपनी सरकार है . तीन राज्यों में NDA की सरकार है. अभी जो पांच राज्यों के चुनाव हुए उसमें सिर्फ पंजाब NDA के हाथ से गया. लेकिन दूसरी तरफ मणिपुर और उत्तराखंड आ गया. लेकिन 2014 के पहले ऐसी स्थिति नहीं थी.
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, असम, महाराष्ट्र, हरियाणा, में मोदी मैजिक से भगवा फहराया. और ये हिस्सा देश की आबादी का 35% है . इसमें NDA के शासन को जोड़ लें ये 40% हो जाता है .
वोट-गणित के जानकार कहते हैं कि वैसे तो हिन्दुस्तान में 90 के दशक के बाद बीजेपी के कैडर वोटबैंक बन गए जो हिंदुत्व और बाकी मुद्दों पर वोट डालते हैं . लेकिन इसमें करीब 10 फीसदी तक वोट मोदी ने अपने बूते जोड़ दिया .