नई दिल्ली. मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले की सीबीआई जांच को लेकर केंद्र सरकार में दो राय बनती नज़र आ रहीं हैं. एक तरफ गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस मामले की सीबीआई से जांच कराने की जरूरत नहीं है और मामले को ‘नॉन इश्यू’ करार दिया जबकि मंत्री उमा भारती ने स्पष्ट कहा है कि वह खुद शिवराज से मिल कर सीबीआई जांच करवाने की मांग कर चुकी हैं. इस मामले में उनके करीबियों पर आरोप लगा है, तो उनकी सीबीआई जांच होनी ही चाहिए.
क्या है पूरा मामला
व्यापम घोटाले में 55 केस दर्ज किये गये हैं, जिनमें 2,530 लोग आरोपी हैं, इनमें से 1,980 गिरफ्तार हो चुके हैं और 550 फरार हैं. इतने सारे केसों की सुनवाई के लिए प्रदेश में 20 से ज्यादा कोर्ट बनाये गये हैं. 55 में से 28 मामले में एसटीएफ चार्जशीट दायर कर चुकी है. 27 मामले बचे हुए हैं. इन्ही मामलों की सुनवाई के लिए 20 कोर्ट बनाए गए. 55 केसों में से 16 केस जुलाई 2013 के पहले के हैं. आरोपियों में यूपी, बिहार, एमपी, राजस्थान और महाराष्ट्र के लोग शामिल हैं. जुलाई 2013 में एसटीएफ को दी गई थी जांच.
आखिर कितनी मौतें हुईं
सरकारी आंकड़ों की माने तो मामले से जुड़े करीब 27 लोगों की मौत हुई है जबकि मीडिया रिपोर्ट्स यह आंकड़ा 50 से ज्यादा बता रहीं हैं. जुलाई 2013 में मामला दर्ज होने के बाद लगातार मौतें हो रही हैं. कांग्रेस मौतों का आंकड़ा 48 बता रही है, तो हाईकोर्ट के निर्देश पर जांच की निगरानी कर रही एसआईटी को 33 मौतों की जानकारी है. वहीं सरकार मौतों की संख्या 25 मानती है. व्यापमं से जुड़े जिन लोगों की मौत हुई है, उनमें विद्यार्थी, दलाल, फर्जी विद्यार्थी के तौर पर परीक्षा देने वाले और आरोपियों से जुड़े उनके परिजन शामिल हैं. जेल में और जेल के बाहर मौतें हुई हैं.
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