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MCD चुनाव के लिए BJP का गुजरात फॉर्मूला!, मौजूदा पार्षदों का कटा टिकट

राजधानी दिल्ली के एमसीडी चुनाव में बीजेपी इस बार गुजरात फॉर्मला लागू करने जा रही है. यानी किसी भी मौजूदा पार्षदों को इस बार टिकट नहीं दिए जाएंगे. एमसीडी चुनाव के लिए बीजेपी का ये नया दांव आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों को हैरान कर रहा है. हालांकि मंगलवार को दिल्ली बीजेपी दफ्तर में पार्टी के पार्षदों की बैठक में माहौल बेहद गर्म नजर आया.

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  • March 15, 2017 6:35 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के एमसीडी चुनाव में बीजेपी इस बार गुजरात फॉर्मला लागू करने जा रही है. यानी किसी भी मौजूदा पार्षदों को इस बार टिकट नहीं दिए जाएंगे. एमसीडी चुनाव के लिए बीजेपी का ये नया दांव आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों को हैरान कर रहा है. हालांकि मंगलवार को दिल्ली बीजेपी दफ्तर में पार्टी के पार्षदों की बैठक में माहौल बेहद गर्म नजर आया. 
 
 
AAP और कांग्रेस को हैरान कर रहा है ये दांव
कुछ मौजूदा पार्षदों ने टिकट काटे जाने पर नाराजगी जताई तो कुछ ने पार्टी के फैसले पर सहमति जताई. बैठक में पार्षदों को ये बताया गया कि इस बार 272 में से 175 सीटों का परिसीमन और रोटेशन होना है. एमसीडी चुनाव के लिए बीजेपी का ये नया दांव आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों को हैरान कर रहा है. 
 
 
किसी पार्षद को नहीं मिलेगा टिकट
हालांकि मंगलवार को दिल्ली बीजेपी दफ्तर में पार्टी के पार्षदों की बैठक में माहौल बेहद गर्म नजर आया. कुछ मौजूदा पार्षदों ने टिकट काटे जाने पर नाराजगी जताई तो कुछ ने पार्टी के फैसले पर सहमति जताई. बैठक में पार्षदों को ये बताया गया कि इस बार 272 में से 175 सीटों का परिसीमन और रोटेशन होना है. इसका मतलब ये है कि कुछ रिजर्व सीटें सामान्य वर्ग में आएंगी तो कुछ सामान्य वर्ग की सीटें रिजर्व हो जाएंगी. इस हालात में बीजेपी के सिर्फ 45 पार्षद ही ऐसे हैं जो दोबारा लड़ने की हालत में थे लेकिन उन्हें भी टिकट नहीं दिया जाएगा.
 
 
‘गुजरात फॉर्मूला’ दिल्ली में क्यों ?
मौजूदा पार्षदों के साथ ही बीजेपी ने उनके रिश्तेदारों को भी टिकट नहीं देने का फैसला किया है. ऐसा प्रयोग बीजेपी गुजरात में भी कर चुकी है और ये कामयाब भी रहा था. आमतौर पर इस तरह का फैसला सत्ता विरोधी लहर को ठंडा करने के लिए किया जाता है. एमसीडी पर दस साल से बीजेपी का कब्जा है. पिछली बार 2012 में एमसीडी के चुनाव हुए थे, उसके बाद दो बार विधानसभा के चुनाव हुए लेकिन बीजेपी को जीत नहीं मिली. यही वजह है कि अब बीजेपी नगर निगम के चुनाव में उम्मीदवार का चेहरा बदलना चाहती है.
 
 
अंदर की बात
अंदर की बात ये है कि एमसीडी चुनाव में बीजेपी एक तीर से दो शिकार करना चाहती है. एक तरफ वो चेहरे बदल कर एंटी-इनकमबेंसी को मात देना चाहती हो तो दूसरी तरफ बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले पार्षदों को भी शह दे रही है. बीजेपी के बड़े नेताओं का दावा है कि कई पार्षद इतने ताकतवर हैं कि निर्दलीय जीत सकते हैं. ऐसे पार्षद जीत के बाद अक्सर पार्टी के साथ आ जाते हैं. लिहाजा, उनकी बगावत का पार्टी की सेहत पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा.

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