लखनऊ : आज बहुजन नायक कांशीराम जी की 83 वीं जयंती है. इस मौके पर यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री और बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कांशी राम को भाव भीनी श्रद्धांजलि दी. बता दें कि कांशी राम का जन्म 15 मार्च 1934 को पंजाब के रोरापुर में एक रैदासी सिख परिवार (दलित) में हुआ था. कहा जाता है कि मान्यवर और साहेब के नाम से मशहूर कांशीराम ने एक बार बीजेपी के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी के द्वारा राष्ट्रपति बनाने के उनके प्रस्ताव को सामाजिक कारणों से ठुकरा दिया था.
कांशी राम का जन्म 15 मार्च 1934 को पंजाब के रोरापुर में एक रैदासी सिख परिवार (दलित) में हुआ था. यह एक ऐसा समाज है जिन्होंने अपना धर्म छोड़ कर सिख धर्म अपनाया था. कांशी राम के पिता अल्प शिक्षित थे लेकिन उन्होंने ये सुनिश्चित किया कि अपने सभी बच्चों को उच्च शिक्षा देंगे. कांशी राम के दो भाई और चार बहने थीं. कांशी राम सभी भाई-बहनों में सबसे बड़े और सबसे अधिक शिक्षित भी. उन्होंने बीएससी की पढाई की थी. 1958 में स्नातक होने के बाद कांशी राम पूना में रक्षा उत्पादन विभाग में सहायक वैज्ञानिक के पद पर नियुक्त हुए.
अपने सामाजिक और राजनैतिक कार्यो के द्वारा कांशी राम ने निचली जाति के लोगों को एक ऐसी बुलंद आवाज़ दी जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. बहुजन समाज पार्टी ने उत्तर प्रदेश और अन्य उत्तरी राज्यों जैसे मध्य प्रदेश और बिहार में निचली जाति के लोगों को असरदार स्वर प्रदान किया.
कांशी राम को मधुमेह और उच्च रक्तचाप की समस्या थी. 1994 में उन्हें दिल का दौरा भी पड़ चुका था. दिमाग की नस में खून का गट्ठा जमने से 2003 में उन्हें दिमाग का दौरा पड़ा. 2004 के बाद ख़राब सेहत के चलते उन्होंने सार्वजनिक जीवन छोड़ दिया. 9 अक्टूबर 2006 को दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई.