नई दिल्ली: हाल ही में देश में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव खत्म हुए हैं. जिसके बाद चुनावों में हार का सामना करने वाली कई राजनीतिक पार्टियों ने EVM में गड़बड़ी की बात कही है.
चुनाव में हारने वाली पार्टियों ने आरोप लगाया कि चुनाव में वोट डालने के लिए इस्तेमाल में ली जाने वाली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) में छेड़छाड़ की गई. जिसके बाद चुनाव आयोग भी ईवीएम में छेड़छाड़ की बात को नकार चुका है.
चुनाव आयोग साफ कर चुका है कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है. आइए जानते हैं ईवीएम से छेड़छाड़ क्यों नहीं की जा सकती है…
1. पोलिंग बूथ पर जाने वाला ईवीएम पहले से निर्धारित नहीं होता है. इसके लिए रैंडमाइजेसन की प्रक्रिया होती है. इस प्रक्रिया में सभी ईवीएम को पहले लोकसभा फिर विधानसभा और सबसे आखिर में बूथ के हिसाब से निर्धारित किया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया में पोलिंग पार्टी को एक दिन पहले डिस्पैचिंग के वक्त ही पता चल पाता है कि उसके पास किस सीरिज का ईवीएम आया है. पोलिंग पार्टी को आखिरी वक्त तक पता नहीं रहता कि उनके पास कौन सा ईवीएम आने वाला है.
2. ईवीएम में दो मशीन होती है. एक बैलट यूनिट और दूसरी कंट्रोल यूनिट. लेकिन वर्तमान में इसमें एक तीसरी यूनिट वीवीपीएटी को भी जोड़ा गया है. इसकी मदद से वोट देने के बाद मतदाता को यह बताता है कि उन्होंने अपना वोट किस उम्मीदवार को दिया है. इससे यह जाना जा सकता है कि वोट मनपंसद उम्मीदवार को गया है या नहीं.
3. वोटिंग से पहले सभी ईवीएम की गोपनीय जांच होती है. अच्छी तरह जांच के बाद ही ईवीएम को वोटिंग के लिए उपलब्ध कराया जाता है.
4. ईवीएम को इंटरनेट की सहायता से काम में नहीं लिया जाता है. बिना इंटरनेट के ईवीएम को किसी भी प्रकार से हैक करना संभव नहीं है. जिसके कारण छेड़छाड़ नहीं की जा सकता है.
5. वोटिंग के दिन मतदान शुरू करने से पहले मतदान केन्द्र की पोलिंग पार्टी सभी उम्मीदवारों के मतदान केन्द्र प्रभारी या पोलिंग एंजेट के सामने मतदान शुरू करने से पहले मॉक पोलिंग करती है. इस प्रक्रिया में सभी पोलिंग एंजेट से मशीन में वोट डालने को कहा जाता है. इससे यह जांचा जाता है कि सभी उम्मीदवारों के पक्ष में वोट जा रहा है या नहीं. अगर मशीन में किसी प्रकार की खराबी या छेड़छाड़ की गई होगी तो मतदान शुरू करने से पहले ही सामने आ जाएगी.
6. मॉक पोलिंग कराने के बाद सभी उम्मीदवारों के पोलिंग एंजेट मतदान केन्द्र की पोलिंग पार्टी के प्रभारी को सही मॉक पोल का सर्टिफिकेट देते है और इस सर्टिफिकेट के मिलने के बाद ही संबंधित मतदान केन्द्र में वोटिंग शुरू की जाती है.
7. मतदान शुरू होने के बाद ईवीएम के पास मतदाताओं के अलावा मतदान कर्मियों के जाने की मनाही होती है. कर्मचारी ईवीएम के पास तभी जा सकते है जब मशीन की बैट्री डाउन या कोई दूसरी तकनीकि समस्या आ गई हो.