नई दिल्ली: हिंदूओं के प्रमुख त्योहार होली को सभी मिलजुल कर खुशियों के साथ मनाते हैं. होली खेलने से पहले देश में आज होलिका दहन किया गया. ज्योतिष के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथी को प्रदोष काल में होलिका दहन किया जाता है.
इस बार होली 13 मार्च को खेली जानी है. इसस पहले रविवार 12 मार्च को देश में होलिका दहन किया गया. भद्रा का मुख शाम 5 बजकर 35 मिनट से 7 बजकर 33 मिनट तक था. इस वजह से इस साल होलिका दहन सांय 6 बजकर 30 मिनट से 8 बजकर 35 मिनट तक किया गया.
भद्रा
ऐसा भी माना गया है होलिका दहन या पूजन भद्रा के मुख को त्याग करके करना शुभफलदायक होता है. होलिका दहन के बाद इसकी राख को घर के चारों ओर और दरवाजे पर छिड़कना चाहिए. ऐसा करने से घर में नकारात्मक शक्तियों का घर में प्रवेश नहीं होता है.
इसलिए होता है होलिका दहन
यह कहानी होलिका और प्रहलाद की हैं. कहानी की शुरुआत विष्णु के परम भक्त प्रहलाद के पिता दैत्यराज हिरण्यकश्यप नास्तिक से होती है. उसने अपने पुत्र से विष्णु भक्ति छोड़ने के लिए कई प्रयास किए लेकिन उनके अनेको प्रयासों के बावजूद वह असफल रहे. इससे कुछ ना हो सका तो हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को मार डालने का निर्णय लिया, लेकिन फिर भी अपने पुत्र को मारने की उसकी कोशिशें असफल रहीं.
इसके बाद उसने यह कार्य अपनी बहन होलिका को सौंपा. होलिका को यह वरदान मिला था कि वह कभी जल नहीं सकती और फिर होलिका अपने भाई की बात मान कर प्रहलाद को लेकर जलती आग पर बैठ गई. लेकिन प्रहलाद की श्रध्दा के आगे होलिका का वरदान फीका पड़ गया और उस आग में प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ लेकिन होलिका जल कर खाक हो गई और तभी से हिन्दू समाज में इस प्रथा का प्रचलन चलता आ रहा हैं.