नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला की याचिका पर फैसला देते हुए कहा कि एक अविवाहित मां बच्चे के पिता की सहमति के बिना भी अपने बच्चे की कानूनी अभिभावक हो सकती है.
सोमवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि अब सिर्फ मां भी बच्चे की पूर्ण वैधानिक अभिभावक बन सकती हैं. अभिभावक के रूप में पिता का नाम शमिल करना अनिवार्य नहीं है. दिल्ली की अदालत में याचिका दायर करते हुए महिला ने संरक्षकता याचिका के लिए पिता को शामिल करने की शर्त को चुनौती दी थी.
अभिभावक और वार्ड्स अधिनियम, हिंदु अल्पसंख्यक और अभिभावक अधिनियम के तहत जब कोई संरक्षकता याचिका दायर की जाती है तो पिता की सहमति लेने के लिए उसे एक नोटिस भेजा जाता है. अदालत ने इस पर महिला को ‘गार्जियनशिप एंड वार्ड्स एक्ट’ के प्रावधानों के तहत बच्चे के पिता से सहमति लेने के लिए कहा था. महिला ने ऐसा करने में असमर्थता जताई थी, फिर 2011 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. अब कोर्ट ने इस मामले पर अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है.
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