दलित या ओबीसी चेहरे को मुख्यमंत्री बनाए बीजेपी: साक्षी महाराज

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी प्रचंड बहुमत की ओर कदम बढ़ा रही है. जिसके बाद प्रदेश में मुख्यमंत्री उम्मीदवार के लिए चर्चा शुरू हो चुकी है.

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दलित या ओबीसी चेहरे को मुख्यमंत्री बनाए बीजेपी: साक्षी महाराज

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  • March 11, 2017 9:58 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी प्रचंड बहुमत की ओर कदम बढ़ा रही है. जिसके बाद प्रदेश में मुख्यमंत्री उम्मीदवार के लिए चर्चा शुरू हो चुकी है.
 
प्रदेश के मुख्यमंत्री के लिए भारतीय जनता पार्टी के सांसद साक्षी महाराज ने कहा कि सीएम किसी ओबीसी और दलित समुदाय से होना चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्य में 20-22 फीसदी दलित और 27 फीसदी ओबीसी समुदाय के लोग हैं. इसलिए भारतीय जनता पार्टी को दलित और ओबीसी समुदाय से मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए.’ साक्षी महाराज खुद लोढी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं जो कि यूपी में ओबीसी में आते हैं. 
 
 
उत्तर प्रदेश में जिस तरह से प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आ रही है उससे साफ जाहिर के विधानसभा चुनाव में सभी तरह के जातीय और क्षेत्रीय समीकरण टूट गए हैं.
 
अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लखनऊ के बीजेपी कार्यालय में मुस्लिम महिलाएं भी होली खेल रही हैं. मतलब साफ है कि बीजेपी बिन सभी वर्गों के वोट लिए इतना बड़ा बहुमत हासिल नहीं कर सकती है. 
 
चुनाव के पहले बीजेपी ने जिस तरह से गैर-जाटव और गैर-यादव समीकरणों को पक्ष में किया उसके बाद हिंदुत्व के नरम रुख के साथ आगे बढ़ी.
 
 
दूसरी पीएम मोदी ने  नोटबंदी के बाद भी सबका साथ, सबका विकास का नारा देकर सभी वर्गों को लुभाया. बीजेपी के सामने बड़ी चुनौती इस बात की है कि सवर्णों की पार्टी की छवि तोड़ रही पार्टी किसे अपना मुख्यमंत्री बनाएगी.
 
बीजेपी के पास इस समय कई चेहरे हैं जिसमें सबसे पहले नंबर योगी आदित्यनाथ, सिद्धार्थनाथ सिंह, दिनेश शर्मा, श्रीकांत शर्मा बड़े चेहरे हैं. 
 
लेकिन ये सभी सवर्ण समुदाय से आते हैं. एक खबर ये भी है कि 2019 की तैयारियों को लेकर पीएम मोदी अमित शाह को भी मुख्यमंत्री बना सकते हैं.
 
 
क्योंकि लोकसभा चुनाव-2014 से लेकर इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की हर रणनीति काम आई है. वहीं अगर ओबीसी समुदाय से देखें तो बीजेपी के पास केशव प्रसाद मौर्य के तौर पर बड़ा चेहरा मौजूद  है.
 
कुल मिलाकर इतना तय है कि बीजेपी को कोई भी फैसला 2019 के चुनाव को ध्यान में रखकर करना होगा.

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