Punjab Election 2017 : पंजाब में इन कारणों से ‘कैप्टन’ को मिला ‘सत्ता’ का ताज

पंजाब : 4 फरवरी को 117 सीटों पर हुए विधानसभा चुनावों में सुबह 8 बजे से शुरू हुई वोटो की गिनती के बाद से ही कांग्रेस पहले पाएदान पर चल रही है. 10 साल बाद कांग्रेस पंजाब की सत्ता पर कब्जा करने में कामयाब हो सकती है. आज कैप्टन अमरिंदर सिंह का जन्मदिन है और आज उन्हें जन्मदिन का तोहफा मिलता हुआ नजर आ रहा है.
आज अमरिंदर 75 वर्ष के हो चुके हैं. पार्टी ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और सीएम प्रत्याशी कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और पूरी बागडोर उनके हाथ में सौंपी दी थी. अब हम आपको अमरिंदर सिंह की जीत के पीछे के 5 कारणों के बारे में रू-ब-रू करवाने जा रहे हैं.
गौरतलब है की पंजाब में दो बार अकाली बीजेपी की सरकार रही लेकिन इस बार पंजाब की जनता ने बदलाव का विकल्प चुना है. पहली बार अपनी किस्मत आजमाते हुए आम आदमी पार्टी के सिर राज तिलक का सपना सकार होते हुए नहीं दिख रहा है.
1) आम आदमी की खराब छवि : कांग्रेस की जीत के पीछे आम आदमी पार्टी की खराब छवि और अकाली-बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर जैसे कई मुख्य कारण रहे हैं. अगर लोकसभा या दिल्ली विधानसभा चुनावों के तुरंत बाद पंजाब विधानसभा चुनाव होते तो संभाव था की इसका फायदा आम आदमी पार्टी को मिलता.
AAP ग्राफ इस वजह से गिरा था नीचे
आम आदमी पार्टी का ग्राफ नीचे गिरने के पीछे कई कारण रहे जैसे की आप नेताओं के सैक्स स्कैंडल, फर्जी डिग्री और दहेज प्रताड़ना, दिल्ली में एमसीडी हड़ताल के समय सड़कों पर गंदगी, पंजाब में पैसे लेकर टिकट देना, भगवंत मान का संसद में वीडियो बनाना और पंजाब में आप के बड़े नेता सुच्चा सिंह को पार्टी से निकालना जैसे मामले सामने आए थे, इन्हीं कारणों के चलते पिछले एक साल में बेहद तेजी से आप का ग्राफ नीचे गिरा था. इस बात का लाभ कैप्टन अमरिंदर सिंहह को पंजाब विधानसभा चुनाव में मिला है.
2) मुख्यमंत्री का चेहरा : मुख्यमंत्री के रूप में पंजाब की जनता के सामने सबसे अनुभवी चेहरा कैप्टन अमरिंदर सिंह बनें, अकाली-बीजेपी ने एक बार फिर प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व में चुनाव लड़ा. जनता इस बात से वाकीफ थी की अगर इस बार अकाली-बीजेपी की सरकार बनती है तो प्रकाश की जगह उनके बेटे सुखबीर मुख्यमंत्री बन सकते हैं. कांग्रेस ने अकाली और आम आदमी पार्टी के सामने खड़ा कर काफी बड़ा दांव खेला था.
3) मजबूत विकल्प :  लोकसभा चुनाव 2014 में जिस वक्त देशभर में मोदी लहर का बोलबाला था उस वक्त कैप्टन अमिंरदर सिंह ने पंजाब की अनृतसर सीट से बीजेपी के वरिष्ठ नेता और बीजेपी के वरिष्ठ नेता और वर्तमान वित्त मंत्री अरुण जेटली को करारी शिकासत दी थी. बता दें की उस वक्त आम आदमी पार्टी के पास कोई भी मुख्यमंत्री पद के लिए उम्मीदवार नहीं था जिस कारण कांग्रेस को इस बात का लाभ मिला था.
पंजाब में पिछले दो बार से यानी की 10 सालों से अकाली-बीजेपी गठबंधन सरकार को टक्कर देने के लिए कांग्रेसे ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को उतारा जिनपर जनता ने भरोसा भी किया.
4) सत्ता विरोधी लहर : वो कहते हैं न सही समय पर और सही तरीके से अगर कदम उठाया जाए तो कुछ भी हो सकता है, इस बात का लाभ कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सतलुज यमुना लिंक नहर, पंजाब में तेजी से फैलता नशे का कारोबार, बादल परिवार के भ्रष्टाचार से त्रस्त जनता के बीच गए और उन्होंने अपना विरोध जाहिर किया.
अकाली-बीजेपी गठबंधन से उभ चुकी पंजाब की जनता को इस बार कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी और खिंचा है.गौरतलब है की पंजाब में उठे एसवाईएल(सतलुज यमुना लिंक नहर) के मुद्दे पर अमरिंदर सिंह ने अपने विधायकों समेत विधानसभा से इस्तीफा तक दे डाला था.
5) समय से पहले की गई तैयारी :  कांग्रेस पार्टी द्वारा सीएम कैंडिडेट घोषित करने से कैप्टन को अपने हिसाब से रणनीति बनने और जनता के बीच जाकर लोगों से संवाद करने का सही मौका मिला.
पार्टी द्वारा मुख्यमंत्री पद के लिए खड़े किए गए कैप्टन को रणनीति बनाने का सही मौका मिला था, उन्होंने जनता के बीच जाकर भरोसा देते हुए जनता से वोट मांगे थे. ऐसे में अगर ये कहा जाए की जनता ने कांग्रेस को नहीं बल्कि कैप्टन अमिंरदर सिंह पर भरोसा कर वोट दिए हैं तो गलत नहीं होगा.
बता दें की वह जनता के बीच महाराजा के नाम से प्रसिद्ध हैं, इस बार जनता ने लोकसभा चुनावों में जीती आम आदमी पार्टी पर नहीं बल्कि कैप्टन अमरिंदर सिंह पर विश्वास किया और उन्हीं के तेज से इस बार आम आदमी पार्टी पीछे रह गई और पंजाब में पहली बार अपनी किस्मत आजमाती हुई केजरीवाल के माथे पर राज तिलक नहीं लग सका.
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