नई दिल्ली: मोदी सरकार की यह स्कीम उन लोगों को राहत देने वाली हैं जो किराए के घर में रहते हैं या फिर जो किराया देने में सक्षम नहीं है. दरअसल मोदी सरकार हाउसिंग फॉर ऑल स्कीम के बाद अब शहरी गरीबों के लिए 2700 करोड़ रुपए की नई रेंटल हाउसिंग पॉलिसी लेकर आ रही है.
इस स्कीम के तहत सरकार 100 स्मार्ट सिटीज में रहने वाले गरीबों के घर का किराया चुकाएगी. जिसके लिए बकायदा वाउचर्स दिए जाएंगे. इस स्कीम को शुरू करने के लिए हर साल 2713 करोड़ रुपए की लागत आने की उम्मीद है. बता दें कि यह स्कीम सभी के लिए नहीं होगी सिर्फ गरीबी रेखा से नीचे वाले लोगों के लिए ही होगी.
इस तरह सरकार देगी किराया
सरकार इन रेंट वाउचर्स को शहरी निकायों की मदद से गरीबों में बांटेगी. किरायेदार जब इन वाउचर्स को अपने मकान मालिक को देगा, जो उसे किसी सिटीजन सर्विस ब्यूरो से अपने अकाउंट में ट्रांसफर करा सकेंगे. इसके अलावा अगर रेंट, वाउचर की वैल्यू से अधिक होता है तो किरायेदार को उसका भुगतान अपनी जेब से करना होगा. इन रेंट वाउचर्स की वैल्यू शहर और कमरे के साइज के हिसाब से निकाय तय करेगा.
3 साल से हो रहा है इस योजना पर काम
स्मार्ट सिटीज में गरीबों का किराया देने वाली पॉलिसी पर आज से नहीं पिछले तीन सालों से काम चल रहा है, लेकिन इसका पहला कंपोनेंट आने वाले वित्त वर्ष 2017-18 में लागू किया जा सकता है.
गौरतलब है कि 2011 की जनगणना के मुताबिक, शहरों में करीब 27.5 फीसदी आबादी किराए के घरों में रहती है. हालांकि, नैशनल सैंपल सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक 2009 में शहरों में 35 प्रतिशत लोग किराए के घरों में रहते हैं.
हाल में बेनामी प्रॉपर्टीज ऐक्ट को लागू किया गया. माना जा रहा है कि केंद्र जब्त की गई बेनामी प्रॉपर्टी का इस्तेमाल किफायती घर बनाने के लिए करेगी. इससे घरों की कमी दूर करने में मदद मिलेगी.