नई दिल्ली : राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा यानी नीट की परीक्षा में उर्दू भाषा को शामिल करने की मांग पर आज केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि इसमें कोई समस्या नहीं है, लेकिन इस साल ऐसा नहीं किया जा सकता.
केंद्र ने आज सुनवाई के दौरान कहा, ‘नीट की परीक्षा में उर्दू को भी शामिल करने में गुरेज़ नहीं है, लेकिन इस साल परीक्षा में नहीं शामिल कर सकते.’ हालांकि इस मामले पर केंद्र ने लिखित जवाब देने के लिए कोर्ट से समय मांगा है. कोर्ट ने 22 मार्च तक का समय दिया है, अगली सुनवाई 26 मार्च को है.
नीट की परीक्षा उर्दू माध्यम में भी क्यों न हो, इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. कोर्ट ने केंद्र सरकार, डीसीआई, एमसीडी और सीबीएसई को नोटिस जारी कर 10 मार्च तक जवाब मांगा था.
बता दें कि ये परीक्षा हिंदी, इंग्लिश, गुजराती, मराठी, उड़िया, बंगला, असमी, तेलगु, तमिल और कन्नड़ भाषा में होती है. दरअसल नीट की परीक्षा उर्दू में कराने के लिए याचिका दी गई थी उस समय मेडिकल काउंसिल और सीबीएससी की ओर से कहा गया था कि अभी तक किसी भी राज्य ने ऐसी मांग नहीं की है इसलिए इस पर विचार नहीं किया गया है.
बाद में याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि महाराष्ट्र और तेलंगाना की ओर से नीट को उर्दू में कराने की मांग की गई है और कुछ राज्य भी आगे मांग कर सकते हैं. याचिकाकर्ता ने कहा कि एमसीआई ने कहा था कि अगर कोई राज्य ऐसी मांग करता है तो वह इस पर विचार करेगा.
इसी मामले में कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. बात दें कि पिछले साल ही केंद्र सरकार ने मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों को बड़ी राहत देते हुए पूरे देश में एक ही परीक्षा कराने का फैसला किया था. जिसका उस समय काफी विरोध किया गया था लेकिन बाद में इस फैसले पर कोर्ट ने भी मुहर लगा दी थी.
उसके बाद इस परीक्षा को दो चरणों में कराया गया था. एक ही परीक्षा हो जाने से अब छात्रों को फॉर्म भरने का अलग पैसा नहीं देना पड़ेगा और समय की भी बचत होगी.