नई दिल्ली: दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने बुधवार को अपना तीसरा बजट पेश किया. एमसीडी चुनाव को देखते हुए दिल्ली सरकार ने कोई नया टैक्स नहीं लगाया है. सरकार ने कहा कि इस बार का बजट परंपरा से हटकर है. दिल्ली का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने इसे देश का पहला आउटकम बजट होने का दावा किया और सरकार की उपलब्धियों का जमकर बखान किया.
48 हजार करोड़ का किया बजट पेश
सिसोदिया ने साल 2017-18 के लिए कुल 48 हजार करोड़ का बजट पेश किया है. बजट में सबसे ज्यादा जोर शिक्षा और स्वास्थ्य पर दिया गया है, शिक्षा के लिए सरकार ने 11,300 करोड़ का बजट रखा है. जबकि स्वास्थ्य के लिए कुल 5736 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं. केजरीवाल सरकार के बजट में एमसीडी चुनावों का भी साफ असर नजर आया. केजरीवाल सरकार ने नगर निगमों के लिए 7571 करोड़ आवंटित किए हैं जो कि एक रिकॉर्ड है. ये सरकार के कुल बजट का 15.8% से ज्यादा है.
क्या है आउटकम बजट ?
दिल्ली सरकार इसे देश का पहला आउटकम बजट होने का दावा कर रही है. आउटकम बजट के तहत ये बताया जाएगा कि सरकार की योजनाओं से कितने लोगों को फायदा हुआ. आउटकम की मॉनिटरिंग हर तीन महीने में होगी. मान लीजिए किसी अस्पताल में 10 करोड़ की एक मशीन लगाई गई. तो आउटकम बजट देखेगा कि मशीन से कितने लोगों का टेस्ट हुआ. इसी तरह अलग-अलग विभाग अपनी ओर से खर्च की गई रकम के परिणाम का डाटा इकट्ठा करेंगे और हर तीन महीने में इस डाटा की समीक्षा होगी.
अंदर की बात
अंदर की बात ये है कि आउटकम बजट के नाम पर केजरीवाल सरकार ने ये दिखाने की कोशिश की है कि वो पारदर्शी सरकार के अपने वादे पर अमल कर रहे हैं. सरकार का तीसरा बजट था और वो भी एमसीडी चुनाव के ठीक पहले, इसलिए ऐसा करना केजरीवाल सरकार के लिए मजबूरी भी थी, क्योंकि बीजेपी और कांग्रेस के साथ-साथ उनके पुराने साथी योगेंद्र यादव भी अपनी नई पार्टी बनाकर पूछ रहे हैं कि केजरीवाल ने जो वादे किए थे, उनका क्या हुआ ?