जयपुर. एनआई की विशेष अदालत ने 2007 में अजमेर दरगाह बम विस्फोट मामले में स्वामी असीमानंद को बरी कर दिया है.
जबकि इसी मामले में मृतक सुनील जोशी, भावेश और देवेंद्र गुप्ता को दोषी करार दिया है. हालांकि अभी तक सजा का ऐलान नहीं हुआ है. सुनील जोशी की मृत्यु हो चुकी है.
आपको बता दें कि 11 अक्टूबर को 2007 में अजमेर दरगाह में हुए धमाके में तीन लोगों की मौत हो गई थी जबकि 17 लोग घायल हुए थे.
2011 में इस मामले की जांच एनआईए को सौंप दी गई थी. एनआईए की ओर से पेश की गई एक चार्जशीट में स्वामी असीमानंद को मास्टरमाइंड बताया था.
हालांकि यह केस कई बार विवादों में आ चुका है. इस मामले में आज दोषी करार दिए भावेश पटेल ने एक बार बयान दिया था कि तत्कालीन गृहमंत्री सुशील शिंदे और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार को फंसाने के लिए दबाव डाल रहे हैं.
इसके बाद जब केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी तो सरकारी वकील ने बयान दिया था कि आरोपियों को बचाने के लिए उन पर काफी दबाव है.
गौरतलब है कि 11 अक्टूबर 2007 की शाम अजमेर की दरगाह में उस समय ब्लास्ट हुआ था जब लोग रोजा खोलने के लिए बैठे थे.
इस मामले की सुनवाई शुरुआत में अजमेर की अदालत में हुई थी बाद में उसे एनआई की विशेष कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया था.
कौन हैं स्वामी असीमानंद
स्वामी असीनंद का जन्म पश्चिम बंगाल में हुआ था. उनका नाम नाबा कुमार सरकार है. उनके पिता बिभूति भूषण सरकार स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे.
छात्र जीवन से असीमानंद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से प्रभावित हो गए. 1977 में मास्टर्स करने के बाद वह आरएसएस के प्रचारक बन गए और संघ के वनवासी कल्याण आश्रम कार्यक्रम से जुड़ गए. असीमानंद नाम उनके गुरु ने रखा था.
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