नई दिल्ली. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मानहानि के मुकदमे में वित्तमंत्री अरुण जेटली को वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी के सवालों का सामना करना पड़ा.
आपको बता दें कि डीडीसीए में कथित भ्रष्टाचार के पीछे केजरीवाल ने जेटली के हाथ बताया था. उनके इस आरोप को जेटली ने झूठा करार दिया था दिल्ली की अदालत में मानहानि का मुकदमा दर्ज करवा दिया.
इस मामले में केजरीवाल के वकील राम जेठमलानी हैं. सोमवार को जब इस मुकदमे की सुनवाई हुई तो जेठमलानी ने जेटली से तीखे सवाल किए.
गौरतलब है कि अरुण जेटली खुद भी देश के बड़े वकील हैं और कई नामी-गिरामी मुकदमे लड़ चुके हैं. दो वकीलों के बीच इस सवाल-जवाब को सुनने के लिए लोगों में काफी उत्सुकता थी.
क्या थे दोनों के बीच सवाल-जवाब
राम जेठमलानी – आपको केजरीवाल से कोई दुश्मनी नहीं है ?
अरुण जेटली – मुझे कोई निजी दुश्मनी नहीं है. लेकिन मुझे उनका नहीं पता. एक बार वह डीडीसीए के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़े थे और हार गए. यहां तक कि लोकसभा चुनाव में उन्होंने मेरे खिलाफ जमकर प्रचार किया.
राम जेठमलानी- आप अमृतसर चुनाव की बात कर रहे हैं ? क्या ये सही नहीं कि पहली बार आप गुजरात के अलावा कहीं और से चुनाव लडना चाहते थे ? (इस सवाल का जेटली के वकीलों ने विरोध किया)
लेकिन जेटली ने जवाब दिया : हां
राम जेठमलानी : आप अमृतसर से चुनाव नहीं लड़ रहे थे तो भी गुजरात से राज्यसभा सदस्य थे ?
जेटली : हां
राम जेठमलानी : क्या ये आपका पहला लोकसभा चुनाव था ?
जेटली : हां मैं पहली बार लड़ा था
राम जेठमलानी : तो आप पहली बार लोकतंत्र में अपनी ग्रेट रेप्यूटेशन का टेस्ट कर रहे थे.
जेटली : चुनावों में कई फैक्टर होते हैं सिर्फ प्रत्याशी का रेप्यूटेशन का सवाल नहीं होता. याद रहे कि केजरीवाल भी लोकसभा-2014 का चुनाव 3.50 लाख वोटों से हारे थे.
राम जेठमलानी : मेरी सलाह मानिए, जो पूछा जा रहा है, वही जवाब दीजिए.
राम जेठमलानी: क्या आप एक लाख से ज्यादा वोटों से हारे थे ?
जेटली : सही है.
राम जेठमलानी : आप लोकसभा चुनाव लड़े जबकि आपकी राज्यसभा सदस्यता के दो साल बचे हुए थे?
जेटली : राज्यसभा के कार्यकाल में चार साल बचे थे.
राम जेठमलानी : क्या पीएम ने आपको ये लेटर दिखाया था. क्या आप इसे पढ़कर बता सकते हैं कि इसमें क्या गलत लिखा है?
जेटली : इस लैटर में मेरे बारे में लिखी बातों से मैं इनकार करता हूं. मैंने वित्त मंत्री या संसद सदस्य रहते वक्त कभी भी मंत्रालय या विभाग का सहारा नहीं लिया.
जेटली : मैंने कंपनी अफेयर्स का मंत्रालय संभाला लेकिन कभी भी डीडीसीए संबंधी कोई फाइल या कागजात मेरे सामने नहीं आए. न ही मैंने इससे संबंधी कोई सवाल पूछा. इसलिए हितों के टकराव का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता.
राम जेठमलानी : मिस्टर जेटली मैंने ये नहीं पूछा कि आपने लैटर के बाद क्या किया. ये जानना चाहते हैं इसमें कौन सी बात गलत है?
अरुण जेटली : मैंने साफ जवाब दिया है कि कोई हितों का टकराव नहीं था.
राम जेठमलानी: आप जानते हैं कि लेटर में लिखी बातें उस वक्त की हैं जब आप एसोसिएशन का हिस्सा थे?
जेटली : जहां तक मेरी जानकारी है, ये बातें झूठी हैं. मैं BCCI और DDCA से लिंक खत्म करना चाहता था. 2014 के किसी वक्त में एसोसिएशन से जुडा था लेकिन वो कोई पद नहीं था बल्कि एक तरह से बिना कार्यभार वाला काम था. मेरे आग्रह पर वो भी खत्म हो गया.
राम जेठमलानी : क्या आपके पास एग्जीक्यूटिव कमेटी के सदस्य के अधिकार थे ?
जेटली : एकदम नहीं बता सकता लेकिन मैंने कभी एग्जीक्यूटिव कमेटी की मीटिंग में हिस्सा नहीं लिया.
राम जेठमलानी : आपने मीटिंग में हिस्सा नहीं लिया ?
जेटली : मैं याद कर रहा हूं कि एक बार मैं मीटिंग में गया था और इसके बाद मैंने इससे अलग करने का आग्रह किया था.