श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में महबूबा सरकार की तरफ से अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के पोते अनीस-उल-इस्लाम के लिए नियम ताक पर रखकर 12 लाख रुपए की सालाना सरकारी नौकरी देने का मामला सामने आया है. अनीस-उल-इस्लाम को श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल सेंटर में बतौर रिसर्च ऑफिसर नियुक्त किया है.
पर्यटन विभाग सीएम के पास है, खबर ये है कि उन्होंने इस वैकेंसी की जानकारी सरकार की भर्ती एजेंसियों को नहीं दी. हालांकि जम्मू-कश्मीर के पर्यटन सचिव फारूख शाह ने कहा है कि गिलानी के पोते अनीस की नियुक्ती सभी नियमों के तहत की गई है. अनीस को स्टेट सीआईडी ने क्लीन चिट दी है. वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता देवेंद्र राणा ने सरकार पर आरोप लगाया कि नौकरी देने के लिए पूरी प्रकिया गलत ढंग से की गई है.
रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि जिस वक्त आतंकी बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद घाटी में हिंसक घटनाएं हो रही थीं, उस दौरान बीजेपी-पीडीपी सरकार ने नियमों में ढील देकर गिलानी के पोते को सरकारी नौकरी दी थी. इस नियुक्ति को लेकर सरकार के साथ-साथ गिलानी भी घिर गए हैं, जो हमेशा सरकार विरोधी आंदोलन की अगुआई करते हैं, लेकिन सरकारी लाभ पाने में पीछे नहीं हटते.
बीजेपी विधायक रवींद्र रैणा ने कहा कि हमारे देश का कानून सबसे ऊपर है. नियम सबके लिए बराबर हैं और रहेंगे. यदि किसी ने गड़बड़ी की है तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. बता दें कि गिलानी का बेटा नईम डॉक्टर है और पहले स्वास्थ्य सेवा विभाग में नौकरी करता था. नईम की एक बेटी एयरलाइन्स में क्रू मेंबर है, जबकि दूसरी अक्टूबर, 2016 में परीक्षाओं में बैठी थी, उस वक्त गिलानी ने कश्मीर में स्कूल बंद कराने की मुहिम चला रखी थी.