UP में शनिवार को छठे दौर के लिए 7 जिलों की 49 सीटों पर डाले जाएंगे वोट

लखनऊ: यूपी में कल छठे दौर के लिए 7 जिलों की 49 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. पांचवें दौर की वोटिंग के बाद भी न किसी के पक्ष में लहर है ना एकतरफा हवा दिखाई दे रही है. लेकिन वोटिंग में उतार-चढ़ाव से कुछ संकेत जरूर मिल रहे हैं. कहते हैं यूपी में सरकार उसी की बनती है जिसने पूर्वांचल में दमखम दिखा दिया और इसी दमखम की परीक्षा शनिवार को होगी जब यूपी के 7 जिलों की 49 सीटों पर वोट डाले जाएंगे.
पिछले चुनाव में SP को मिली थीं ज्यादा सीटें
इनमें महाराजगंज, कुशीनगर, गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़, मऊ और बलिया जिले शामिल हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में 7 जिलों की इन 49 सीटों के नतीजों पर गौर करे तो समाजवादी पार्टी को 27 सीटें मिली थीं. जबकि बीएसपी 9, बीजेपी को 7 और कांग्रेस के खाते में 4 सीटें आईं थी. जबकि अन्य को दो सीटें मिली थीं.
दिग्गजों की किस्मत दांव पर
छठे चरण में जिन दिग्गजों की किस्मत दांव पर लगी है उनमें बीएसपी छोड़कर बीजेपी में आए स्वामी प्रसाद मौर्य, एसपी छोड़कर बीएसपी में शामिल हुए पूर्व मंत्री अम्बिका चौधरी और नारद राय, बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी और उनके बेटे अब्बास अंसारी शामिल हैं.
गिरता वोट प्रतिशत क्या संकेत दे रहा है ?
छठे दौर के चुनाव में गोरखपुर से बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ और देवरिया से सांसद और केन्द्रीय मंत्री कलराज मिश्र की साख दांव पर है. यूपी चुनाव में अब तक हुए पांच चरणों की वोटिंग में मतदान का गिरता प्रतिशत कई संकेत देने लगा है. पहले चरण में मतदान का जो आंकड़ा 64.2 फीसदी था, वो पांचवां चरण आते आते 57.4 फीसदी तक गिर गया. वोटिंग प्रतिशत में आया ये बदलाव बड़े राजनीतिक दलों का गणित बिगाड़ सकता है.
पांच चरणों में वोटिंग में आई गिरावट
यूपी में पहले चरण में वोटिंग प्रतिशत 64.2 फीसदी था, दूसरे चरण में ये 65 फीसदी था, तीसरे चरण में वोटिंग प्रतिशत गिरकर 61.2 फीसदी हो गया. चौथे चरण में वोटिंग प्रतिशत थोड़ा और गिरा और 61 फीसदी रहा. पांचवे चरण में वोटिंग प्रतिशत 57.4 फीसदी रहा.
मुस्लिम बहुल इलाकों में वोट प्रतिशत बढ़ा
सबसे हैरानी की बात ये है कि जिन जिलों में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 30% से ज्यादा है, वहां वोटिंग पिछली बार के मुकाबले ज्यादा हुई है. अमरोहा, बहराइच, बलरामपुर, बरेली, बिजनौर, मेरठ, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर और रामपुर जैसे जिलों में इस बार पिछली बार के मुकाबले ज्यादा मतदान हुआ है. इन सभी जिलों में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 30 फीसदी से ज्यादा है.
अंदर की बात
अंदर की बात ये है कि तीसरे दौर में गोरखपुर और आजमगढ़ मंडलों की जिन सीटों पर वोटिंग हो रही है, वहां कांग्रेस-समाजवादी पार्टी गठबंधन, बीजेपी और बीएसपी का अपना-अपना वोट बैंक तो है, लेकिन कुछ सीटों पर पीस पार्टी और निषाद पार्टी जैसे छोटे दल भी खेल बिगाड़ सकते हैं. इस इलाके में जातिगत समीकरण भी बहुत उलझे हुए हैं. कहीं सवर्ण मतदाताओं का दबदबा है, तो कहीं दलितों, पिछड़ी जातियों और अल्पसंख्यकों का. सभी पार्टियां अपने परंपरागत वोट बैंक पर भरोसा कर रही हैं, लेकिन ये आशंका भी सबके मन में है कि अगर उनके वोट बैंक में विरोधियों ने थोड़ी भी सेंध लगाई तो जीत की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है.
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