महाराष्ट्र BJP अध्यक्ष के बेटे की शादी में शामिल हुए 30 हजार मेहमान, नहीं पहुंचे उद्धव ठाकरे

मुंबई: बीजेपी से उद्धव ठाकरे की नाराजगी तमाम हदों को पार करती दिख रही है. उद्धव ठाकरे प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष रावसाहेब दानवे के बेटे की शादी में भी नहीं आए. महाराष्ट्र के औरंगाबाद में रावसाहेब दानवे के बेटे की शादी में करीब 30 हजार मेहमान आए. राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और लगभग पूरी कैबिनेट मौजूद थी. लेकिन कोई नहीं आया तो वो उद्धव ठाकरे थे.
उद्धव के अलावा शिवसेना के कोटे से मंत्री रामदास कदम और कई सांसद और विधायक भी इसमें शरीक नहीं हुए. खानापूर्ति के लिए शिवसेना के दो स्थानीय नेता इस शादी में पहुंचे थे. शिवसेना का ये रुख तब दिखा जब  पिछले हफ्ते रावसाहेब दानवे खुद मातोश्री गए थे और उद्धव को अपने बेटे की शादी में आने का न्योता भी दिया था.
बीएमसी में मेयर को लेकर ठनी
माना जा रहा था कि दानवे की इस पहल से गठबंधन की गांठ सुलझ जाएगी. लेकिन उद्धव की गैरहाजिरी ने बता दिया कि बीएमसी चुनावों को लेकर बढ़ी तल्खी रिश्तों में भी गांठ बन गई है. इस वक्त बीएमसी चुनावों में अपना-अपना मेयर बनाने को लेकर बीजेपी और शिवसेना में ठनी हुई है. 227 सदस्यों वाली बीएमसी में किसी को भी बहुमत नहीं है.
8 मार्च को चुना जाना है मुंबई का मेयर
उद्धव को ये उम्मीद थी कि 8 मार्च को मेयर चुनने के लिए होने वाली वोटिंग में कांग्रेस उसका समर्थन करेगी. लेकिन कांग्रेस ने शिवसेना का समर्थन करने से इनकार कर दिया है. यही नहीं कांग्रेस ने मेयर और डिप्टी मेयर, दोनों ही पदों के लिए अपना उम्मीदवार उतारने का फैसला भी किया है.
कांग्रेस भी कतार में
इसके साथ ही, कांग्रेस ने एनसीपी और समाजवादी पार्टी को एक सेकुलर गठबंधन में साथ आने का न्योता भी दिया है. अगर ये दोनों साथ आए तो कांग्रेस ने कहा है कि वो डिप्टी मेयर पद पर इन दोनों में से किसी एक के उम्मीदवार का समर्थन करेगी.
अंदर की खबर
अंदर की खबर ये है कि राव साहेब दानवे की बेटी की शादी में ना जाकर उद्धव ने यही संदेश दिया है कि अगर वो राजनीतिक तौर पर बीजेपी से नाराज हैं, तो फिर बीजेपी नेताओं के साथ निजी रिश्ते भी उनके लिए मायने नहीं रखते. वैसे नागपुर में बीजेपी एक और कद्दावर नेता और फड़नवीस सरकार में मंत्री चंद्रशेखर बावन कुले की बेटी की शादी 6 मार्च को है. उन्होंने भी उद्धव ठाकरे को खुद जाकर न्यौता दिया है.
चूंकि नागपुर में ही संघ का मुख्यालय भी है और संघ चाहता है कि बीएमसी में शिवसेना-बीजेपी का गठबंधन फिर से बने. इसलिए अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या उद्धव ठाकरे नागपुर जाएंगे, क्योंकि अगर उद्धव ठाकरे बीजेपी से हाथ मिलाने को दोबारा तैयार होते हैं, तो इसका रास्ता नागपुर से ही निकल सकता है. बाकी रास्ते तो उद्धव ठाकरे खुद ही बंद करते जा रहे हैं.
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