रेलवे ने की वायु प्रदूषण से निपटने की तैयारी, मालगाड़ी में लादकर दिल्ली से बाहर उतारे जाएंगे ट्रक

देश की राजधानी से होकर गुजरने वाले करीब 23 फीसदी कमर्शियल वाहन और 40 से 60 फीसदी ट्रक दिल्ली के लिए नहीं होते. ये वाहन दूसरे राज्यों में जाने के लिए दिल्ली के रास्ते से गुजरते हैं, जो राजधानी की हवा में प्रदूषण फैलने की बड़ी वजह बनते हैं.

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रेलवे ने की वायु प्रदूषण से निपटने की तैयारी, मालगाड़ी में लादकर दिल्ली से बाहर उतारे जाएंगे ट्रक

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  • March 3, 2017 4:04 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली: देश की राजधानी से होकर गुजरने वाले करीब 23 फीसदी कमर्शियल वाहन और 40 से 60 फीसदी ट्रक दिल्ली के लिए नहीं होते. ये वाहन दूसरे राज्यों में जाने के लिए दिल्ली के रास्ते से गुजरते हैं, जो राजधानी की हवा में प्रदूषण फैलने की बड़ी वजह बनते हैं. ऐसे में रेलवे अब हवा को दुरुस्त रखने के लिए ट्रकों को दिल्ली से बाहर ही मालगाड़ियों में लादने और एनसीआर की सीमा पार कर उन्हें उतारने के काम को शुरू करने वाला है.
 
 
रेलवे के इस कदम से जहां एक ओर दिल्ली में जाम कम करने में मदद मिलेगी, वहीं प्रदूषण में कमी आएगी. गुरुवार को रेलवे ने इस प्रॉजेक्ट को लॉन्च कर दिया. रेलवे ने इस सर्विस को रोल ऑन-रोल ऑफ (RO-RO)सर्विस का नाम दिया है. यह एक मल्टीमोडल ट्रांसपोर्ट सर्विस है, जिससे ट्रकों को मालगाड़ी के फ्लैग वैगन्स में लादा जाएगा और दिल्ली की सीमा करने के बाद उन्हें सड़कों पर उतार दिया जाएगा.
 
 
गुरुवार को पायलट रन के तहत हरियाणा के गुरुग्राम के पास स्थित गढ़ी हरसरू से गाजियाबाद के मुरादनगर के लिए ट्रकों से लदी मालगाड़ी को रवाना किया गया. रेलवे मंत्री सुरेश प्रभु ने विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पटेल नगर रेलवे स्टेशन से हरी झंडी दिखाई.
 
 
अधिकारियों ने कहा कि एक फ्लैग वैगन में दो ट्रकों को लादा जा सकेगा. एक ट्रेन में कुल 40 ट्रक रखे जा सकेंगे. ट्रायल रन को मंजूरी मिलने के बाद इस ट्रेन के फेरे बढ़ाए जाने पर विचार किया जाएगा. उत्तर रेलवे के एक अधिकारी ने बताया, ‘इस प्रयोग से न सिर्फ दिल्ली की हवा की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि सड़कों पर दबाव में भी कमी आएगी. 
 
 
ट्रक के ड्राइवरों को आराम करने का समय मिल सकेगा और वह दिन में भी ट्रक चला सकेंगे. ‘सेंटर फॉर साइंस इन्वायरनमेंट की स्टडी के मुताबिक दिल्ली में आने वाले कमर्शियल वाहन कुल पीएम पार्टिकल्स का 30 फीसदी हिस्सा रिलीज करते हैं. इसके अलावा 22 फीसदी नाइट्रोजन ऑक्साइड भी ट्रांसपोर्ट सेक्टर से ही रिलीज होता है.

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