नई दिल्ली: रामजस कॉलेज विवाद के बाद अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर देशभर में जारी बहस के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि समाज में हमेशा वैध आलोचना के लिए जगह होनी चाहिए.
हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि’ विश्वविद्यालयों में तर्क आधारित चर्चा और बहस होनी चाहिए ना कि अशांति की संस्कृति को बढ़ावा देने वाला माहौल बनाया जाए’. उन्होंने ये भी कहा कि ‘ छात्रों को हिंसा और बेचैनी के भंवर के बीच फंसा देखना दुखद है.’
अभिव्यक्ति की आजादी की पैरवी करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा- संविधान ये अधिकार हर भारतीय को देता है. देश में असहिष्णु लोगों के लिए कोई जगह नहीं है.
राष्ट्रपति ने कहा कि उच्च शिक्षा के शीर्ष संस्थान वो पहिया हैं जो भारत को शिक्षित समाज की ओर लेकर जाएगी. उन्होंने ये भी कहा कि ऐसे संस्थानों में नए नए विचारों और स्वतंत्र विचारों पर बात होनी चाहिए.
गौरतलब है कि पिछले दिनों जेएनयू के छात्र उमर खालिद और शहरा रशीद को दिल्ली विश्वविद्याल के रामजस कॉलेज में एक सेमिनार के लिए आमंत्रित किया गया था जिसको लेकर एबीवीपी और आईसा के सदस्य आपस में भिड़ गए थे और देखते ही देखते हिंसा बड़ी हो गई थी.