नई दिल्ली : सतलुज यमुना लिंक मामले में सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को अहम सुनवाई होगी. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने साफ किया था कि लिंक नहर का निर्माण करना ही होगा. उसमें कितना पानी आएगा ये बाद में तय किया जाएगा.
कोर्ट ने हरियाणा और पंजाब को कानून व्यवस्था बनाए रखने के आदेश दिए थे. कोर्ट ने कहा था कि सतलुज यमुना लिंक को लेकर यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश बने रहेंगे. राज्यों में कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी दोनों राज्यों पर है.
जबरन खुदाई पर पंजाब पहुंचा था कोर्ट
दरअसल, पंजाब सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया था कि हरियाणा से एक लाख लोग सीमा पार कर पंजाब में घुसकर लिंक नहर की जबरन खुदाई कर रहे हैं. ये लोग पूरी तरह हथियारों से लैस भी हैं. एेसे में पंजाब में कानून व्यवस्था खराब हो रही है. सुप्रीम कोर्ट फौरन हरियाणा सरकार को आदेश जारी करे.
वहीं, हरियाणा की ओर से कहा गया कि सरकार ने नहीं बल्कि एक राजनीतिक पार्टी ने लिंक नहर की खुदाई का एेलान किया है. हरियाणा सरकार क्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कदम उठा रही है. वो पंजाब सरकार को मदद करने को तैयार है. डीजीपी हरियाणा ने केंद्रीय गृहसचिव को पत्र लिखकर कहा है कि पंजाब के साथ साझा बैठक कराई जाए.
इससे पहले पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल करते हुए कहा कि पिछले साल अधिसूचना के बाद किसानों को दी गई जमीनों को वापस लेना संभव नहीं है.
करार रद्द करने का एकतरफा फैसला नहीं
पंजाब सरकार ने कहा कि ये केंद्र की जिम्मेदारी थी कि वो दो राज्यों के बीच जल बंटवारे को लेकर मीडिएटर की भूमिका अदा करे लेकिन केंद्र ने ऐसा कभी नहीं किया. केंद्र सरकार ने कभी भी दोनों राज्यों के बीच चल रही जल बंटवारे की समस्या को खत्म करने की कोशिश नहीं की. केंद्र सरकार की ये जिम्मेदारी थी कि वो वाटर ट्रिब्यूनल का गठन करे लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया.
गौरतलब है कि 10 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब द्वारा पड़ोसी राज्यों के साथ सतजुल यमुना लिंक नहर समझौता निरस्त करने के लिए 2004 में बनाए गए कानून को असंवैधानिक करार दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए रेफरेंस पर दिए फैसले में कहा था कि वह राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए सभी रेफरेंस पर अपना नकारात्मक जवाब देते हैं. पंजाब सरकार करार रद्द करने के लिए एकतरफा फैसला नहीं ले सकती.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पंजाब टर्मिनेशन ऑफ एग्रीमेंट एक्ट 2004 सुप्रीम कोर्ट के फैसलों, इंटर स्टेट नदी जल विवाद एक्ट और अन्य संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने साफ किया कि पंजाब अन्य राज्यों से किए गए एग्रीमेंट के बारे में एकतरफा फैसला नहीं ले सकता.