नई दिल्ली. कालेधन के खिलाफ कार्रवाई में देश की 6 से 7 लाख कंपनियां चपेट में आ सकती हैं.
मिली जानकारी के मुताबिक नोटबंदी के दौरान इन कंपनियों ने भारी मात्रा में कालेधन का लेन-देन और बैंकों में जमा कराया है.
सरकार ने इन कंपनियों का पता लगाने के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष टैक्स बोर्ड (सीबीडीटी) के साथ कई एजेंसियों को इस पूरे खेल के बारे में पता लगाने के लिए लगा दिया है.
सीबीडीटी से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि एन कंपनियों के बारे में पता लगा लिया है. इनमें ज्यादातर ‘शेल कंपनिया’ (निष्क्रिय कंपनियां) हैं. इन कंपनियों में बड़ी मात्रा में पैसा लगा दिया गया है.
इसके अलावा के लिए आयकर विभाग भी इन कंपनियों के खाते को खंगाल रहा है. इन कंपनियों ने अपने सालाना रिटर्न की भी जानकारी दी जा रही है.
बताया जा रहा है सरकार ने इस मामले में सख्त कदम उठाते हुए राजस्व का हिसाब रखने वाली सभी एजेंसियों को इस काम में लगा दिया है. इनमें सेबी, आरबीआई, आईबी और कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय को शामिल हैं.
सीबीडीटी को आशंका है कि जिन 6 से 7 लाख कंपनियों पर शक किया जा रहा है ये सभी रजिस्टर्ड नहीं हैं और विमुद्रीकरण के दौरान इनका मनी लॉन्डरिंग में जमकर इस्तेमाल किया जाता है.
आपको बता दें कि शेल ऐसी कंपनियां किसी भी बिजनेस गतिविधि में शामिल नहीं होती हैं. इन कपंनियों की आड़ में बड़ी मनी लॉन्डरिंग का खेल चलाया जाता है.
सीबीडीटी ने एक डाटा बैंक तैयार किया है. इसमें प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन, संदिग्ध लेन-देन का पूरा ब्यौरा है.
इसकी जानकारी सभी जांच एजेंसियों के शेयर कर दी गई है. बताया जा रहा है कि इस पूरे आंकड़े को पैन कार्ड और रजिस्ट्रेशन के पते आधार पर भी जांचा जाएगा.