नई दिल्ली: रामजस कॉलेज और गुकमेहर कौर विवाद को लेकर केंद्र सरकार और विपक्ष में लगातार टकराव बढ़ता जा रहा है. जहां कांग्रेस ने इस हिंसा के पीछे सरकार और आरएसएस को जिम्मेदार ठहराया है तो वहीं सरकार ने साफ कह दिया है कि इस तरह आजादी के नाम पर राष्ट्रविरोधी नारेबाजी नहीं की जा सकती.
रामजस कॉलेज मामले पर केंद्रीय गृहराज्य मंत्री किरण रिजिजू ने सोमवार को ट्वीट करते हुए लिखा कि अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब कैंपस में राष्ट्रविरोधी नारेबाजी का लाइसेंस नहीं है. सरकार की आलोचना करना आपका अधिकार है लेकिन मातृभूमि को गाली न दें.
रिजिजू ने कहा कि राष्ट्रवाद की परिभाषित करने का अधिकार किसी के पास नहीं है लेकिन जो कोई भी भारत को तोड़ना चाहता है. अफजल गुरु और आतंकियों का समर्थन करता है वो देशद्रोही है.
रिजिजू ने गुरमेहर कौर और पत्रकार बरखा दत्त के एक ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा कि इस देश में सभी को अपना विचार रखने का अधिकार है, लेकिन उसने (गुरमेहर) ने कहा कि पाकिस्तान ने हमारे वीर शहीदों को नहीं मारा और भारत को युद्ध का त्याग करना चाहिए. भारत ने आज तक हिंसा का पाप नहीं किया.
गृहराज्य मंत्री ने आगे लिखा कि देश में कुछ लोग कर रहे हैं कि आजादी चाहिए. ऐसे लोगों को उनकी बात सुननी चाहिए जो पड़ोसी मुल्कों के अत्याचार से आजिज आकर भारत में शरण लिए हुए हैं.
उधर इस मामले पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि अत्याचार और भय के खिलाफ हम अपने छात्रों के साथ खड़े हैं, अन्याय और असहिष्णुता के खिलाफ उठी हर आवाज में गुरमेहर कौर होगी.
दरअसल ये पूरा विवाद रामजस कॉलेज में उस सेमीनार के रद्द होने के बाद खड़ा हुआ है. जिसमें जेएनयू के छात्र देश विरोधी नारेबाजी के आरोपी उमर खालिद को शामिल होना था लेकिन एबीवीपी के कड़े विरोध के चलते सेमीनार रद्द कर दिया गया. इस घटना के एक दिन बाद रामजस कॉलेज के बाहर प्रदर्शन करने आए आइसा के छात्रों की एबीवीपी कार्यकर्ताओं के साथ झड़प हो गई थी.
उमर खालिद को पिछले साल कथित तौर पर भारत विरोधी नारेबाजी के लिए देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. वैसे, ये सिलसिला अभी थमा नहीं है क्योंकि कल यानी मंगलवार को आइसा, एसएफआई समेत कई वामपंथी छात्र संगठन भी मार्च निकालने की तैयारी में हैं.