नई दिल्ली. पिछले साल हिजबुल के पोस्टर ब्वाय बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से कश्मीर में हुई पत्थरबाजी की घटनाओं में सीआरपीएफ के 2580 जवान अब तक घायल हो चुके हैं.
यह जानकारी सीआरपीएफ के महानिदेशक के. दुर्गा प्रसाद ने अपने रिटायरमेंट के मौके पर हुई प्रेस कान्फ्रेंस में कही है.
उन्होंने बताया कि सीआरपीएफ जवानों के ऊपर 47 बार ग्रेनेड से हमला, भीड़ की आड़ लेकर 3 बार भीषण फायरिंग, 43 बार पेट्रोल/एसिड अटैक, 142 पत्थरबाजी की घटनाएं हुई हैं.
पैलेट गन का विकल्प नहीं पावा शेल्स
दुर्गा प्रसाद ने कहा कि कश्मीर में पत्थरबाजों से निपटने के लिए अब पैलेट गन की जगह पावा शेल्स (पेलागॉर्निक एसिड वनीलल अमाइड को नॉनिवमाइड) का इस्तेमाल करने की बात ठीक नहीं है.
हमें पावा शेल्स के साथ कुछ और भी इस्तेमाल करना होगा. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सीआरपीएफ हालात के हिसाब से फैसला करेगी कि पैलेट गन का इस्तेमाल करना है कि पावा शेल्स का.
प्रसाद ने बताया कि पैलेट गन पर काम किया जा रहा है ताकि इसको कम घातक किया जा सके. प्रसाद ने कहा कि पैलेट गन में एक डिफ्लेक्टर लगाने का काम हो रहा है ताकि जब फायर हो तो लोगों के शरीर के नीचे वाले हिस्से में लगे.
इससे शरीर को कम से कम नुकसान होगा. वहीं जब पैलेट गन की बुलेट के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि बीएसएफ ने इसकी गोलियों में कुछ बदलाव किया है. इनका परीक्षण किया जा रहा है.
क्या है पावा शेल्स
पावा का रासायनिक नाम पेलागॉर्निक एसिड वनीलल अमाइड को नॉनिवमाइड है. यह प्राकृतिक काली मिर्च में पाया जाने वाला पदार्थ है. इसके इस्तेमाल पर शरीर में जलन पैदा होती है. इससे शरीर को ज्यादा नुकसान नहीं होता है.
पैलेट गन के इस्तेमाल पर हो चुका है हंगामा
कश्मीर में प्रदर्शन करने वाले लोगों पर सुरक्षा बल पैलेट गन का इस्तेमाल करते हैं. इनसे निकलने वाले छर्रों से कई लोगों अंधे हो चुके हैं. यह मामला संसद में भी उठ चुका है. इसके बाद से पैलेट गन के विकल्प की ढ़ूढने की कवायद शुरू की गई थी.