नई दिल्ली: इस हफ्ते बात करेंगे उस खबर की जिसने दुनियाभर के वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है क्योंकि 104 सैटेलाइट की सफल लांचिंग के बाद भारत की स्पेस एजेंसी इसरो ने नया इतिहास रच दिया. इसरो का नया मिशन चांद पर मौजूद अंतरिक्ष का सबसे बड़ा खजा़ना हासिल करना है.
अगर वो खजाना हिंदुस्तान के हाथ लग गया तो समझिये कि पूरे हिंदुस्तान पर सोना बरसेगा. यकीन मानिये अगर इसरो का ये मिशन कामयाब हुआ तो ना केवल हर घर चौबीस घंटे बिजली रहेगी बल्कि भारत दुनिया को बेहिसाब बिजली बेचने वाला देश बन जायेगा.
क्या है चंद्रमा पर मौजूद खजाना
भारत की स्पेस एजेंसी के वैज्ञानिक एक ऐसे मिशन पर दिन रात जुटे हुये हैं. हिंदुस्तान का हर कोना रोशनी से जगमगा उठेगा और ये मिशन है चांद से रोशनी जमीन पर लाने का. इस मिशन पर अरबों डॉलर खर्च होंगे लेकिन इतनी बिजली पैदा की जा सकेगी कि आने वाले 10 हज़ार साल तक भारत रोशन रहेगा. चांद से एनर्जी हासिल करने की बात कोरी कल्पना नहीं है.
बिजली समस्या खत्म कर देगा ये प्रॉजेक्ट
दरअसल इसरो के वैज्ञानिक साल 2030 तक किसी भी हाल में चांद की मिट्टी धरती पर लाने की तैयारी कर रहे हैं. इस मिट्टी में हीलियम -3 की मात्रा बेहिसाब है. हीलियम-3 असल में हीलियम का आइसोटॉप है जिसे एनर्जी में बदला जा सकता है. हीलियम में फ्यूशन रियेक्शन कराई जाए तो इससे एनर्जी जनरेट होगी. इस एनर्जी से भारत की बिजली समस्या हमेशा के लिए दूर हो जायेगी.
ट्रांसपोर्ट रॉकेट पर काम कर रहा है इसरो
इसरो के प्रोफेसर पिल्लाई ब्रह्मोस एयरोस्पेस के चीफ रहे चुके हैं. लिहाजा इनके दावे को हल्के में नहीं लिया जा सकता. चांद से हीलियम धरती पर लाने के लिए इसरो के वैज्ञानिक ट्रांसपोर्ट रॉकेट पर काम कर रहे हैं. वैज्ञानिक ऐसे रॉकेट बना रहे हैं. जिनके चांद पर जाने की लागत बेहद कम होगी. इससे धरती पर हीलियम लाने में आसानी भी होगी और ये प्रोजेक्ट सस्ता भी साबित होगा.
चीन भी कर रहा है काम
इस प्रोजेक्ट पर पड़ोसी चीन भी काम कर रहा है लेकिन दुनियाभर के वैज्ञानिक की नज़रें इसरो पर टिकी हैं. जिसकी कामयाबी और तकनीक का लोहा पूरी दुनिया मानने लगी है. अब इस मिशन के जरिए इसरो खुद को एक बार फिर साबित करने जा रहा है.
प्रोजेक्ट की कीमत क्या होगी ?
चांद से हीलियम हासिल करने के लिए भारत अरबो डॉलर खर्च करेगा. रिपोर्ट के मुताबिक हीलियम लाने के लिए रॉकेट और सैटेलाइट पर ही भारत 386 करोड़ रुपये का निवेश करेगा. इसके अलावा चांद से 1 टन हीलियम-3 लाने में करीब साढे 13 हज़ार करोड़ रुपये खर्च होंगे.
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