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कर्नाटक : 10,000 दलित कर्मचारियों पर गिर सकती है डिमोशन की गाज

सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद कर्नाटक में करीब 10,000 दलित सरकारी कर्मचारियों पर डिमोशन की तलवार लटक रही है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने प्रमोशन में मिलने वाले रिजर्वेशन कोटे को खत्म कर दिया है. हालांकि, राज्य की कांग्रेस सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के इस ऑर्डर को चुनौती देने की कोशिश जारी है.

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  • February 26, 2017 9:43 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
बेंगलुरु : सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद कर्नाटक में करीब 10,000 दलित सरकारी कर्मचारियों पर डिमोशन की तलवार लटक रही है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने प्रमोशन में मिलने वाले रिजर्वेशन कोटे को खत्म कर दिया है. हालांकि, राज्य की कांग्रेस सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के इस ऑर्डर को चुनौती देने की कोशिश जारी है. 
 
 
सुप्रीम कोर्ट की ओर से हाल ही में प्रोन्नति में आरक्षण को खारिज किए जाने के बाद इन कर्मचारियों को दिया गया प्रमोशन वापस लिया जा सकता है. इस मुद्दे पर चिंतित कांग्रेस के एक सीनियर मंत्री का कहना है कि यह बेहद संवेदनशील मामला है. अगर हम लोग दलितों के साथ खड़े नहीं हुए तो हमपर दलित-विरोधी होने का आरोप लग जाएगा. इसका आने वाले चुनाव पर काफी असर पड़ सकता है.
 
सूत्रों के मुताबिक कर्नाटक सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत करीब 10,000 दलित कर्मचारियों का डिमोशन हो सकता है. यानी जो प्रमोट होकर हैड क्लर्क बन गया होगा, वह वापस क्लर्क हो जाएगा. कर्मचारी एसोसिएशन के अध्यक्ष बीपी मंजे गोडा का कहना है कि 7 से 10 हजार अधिकारी और कर्मचारी हैं, जोकि वापस अपनी रैंक पर जाएंगे.
 
बता दें कि 9 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने 1978 के बाद से दलित कर्मियों को आरक्षण के आधार पर दिए गए प्रमोशन को खत्म करने का आदेश दिया था. शीर्ष अदालत ने सूबे की सरकार को इस आदेश पर अमल के लिए तीन महीने का वक्त दिया है. इस अवधि के दौरान कर्नाटक सरकार इस आदेश को चुनौती दे सकती हैं. सरकार के लिए सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश गले की फांस बन गया है.

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