मुंबई: महाराष्ट्र निकाय चुनाव में मुंबई में बीएमसी के मेयर के लिए शिवसेना और कांग्रेस की नजदीक आने की अटकलें खत्म हो गई हैं. महाराष्ट्र में शिवसेना को समर्थन की खबरों को कांग्रेस ने खारिज कर दिया है. कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने कहा कि शिवसेना के साथ बीएमसी में गठबंधन का सवाल ही नहीं उठता. हमने फैसला किया है कि डेप्युटी मेयर के चुनाव में कांग्रेस पार्टी शिवसेना के साथ नहीं जा रही है.
संजय निरूपम ने कहा कि कुछ शिवसेना के नेताओं ने हमसे संपर्क किया था. हमने कहा कि हम ऐसी सांप्रदायिक पार्टी से साथ गठबंधन नहीं कर सकते जो धर्म और जाति की राजनीति करती हो. कांग्रेस की महान विचारधारा से शिवसेना की विचारधारा से मेल नहीं खाती. शिवसेना के समर्थन की अटकलों पर ही कांग्रेस में बगावत ही शुरू हो गई थी.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुरुदास कामत ने उपाध्यक्ष राहुल गांधी को शिवसेना के समर्थन की खबरों के विरोध में एक चिट्ठी भी लिख दी थी. कामत ने चिट्ठी में लिखा कि मैं शिवसेना के साथ गठबंधन ही नहीं बाहर से समर्थन दिए जाने पर किसी भी बातचीत का घोर विरोध करता हूं. इतने साल तक हमने दोनों भगवा पार्टियों की बांटने वाली नीतियों के खिलाफ संघर्ष किया है. हमने शिवसेना का साथ दिया तो लोग हमें माफ नहीं करेंगे.
निकाय चुनाव की हार के लिए मुंबई के अध्यक्ष संजय निरूपम जिम्मेदार हैं. अब समय आ गया है कि हम सुधार लाने वाले कदमों को तुरंत उठाएं. हमें बीजेपी और शिवसेना से दूर रहना चाहिए और उन्हें अपनी मुश्किलें खुद सुलझाने देना चाहिए. दोनों साथ आए तो सत्ता के लिए उनका लालच सबसे सामने आ जाएगा.
शिवसेना के पास 88 का आंकड़ा
बीएमसी के लिए शिवसेना को एमएनएस और एबीएस ने अपना समर्थन दिया है. साथ ही शिवसेना में चार कॉर्पोरेटर का साथ मिल चुका है, जिससे ये आंकड़ा 88 हो गया है. इन चार में से तीन शिवसेना के बागी रहे हैं. दूसरी ओर बीजेपी के 82 कॉर्पोरेटर चुनकर आए हैं.
कांग्रेस ने जीती थीं 31 सीटें
कांग्रेस की मात्र 31 सीटें ही जीत पाई है. राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के खाते में सिर्फ 7 सीटें आई हैं जबकि शरद पवार की पार्टी एनसीपी को 10 ही सीटें आई हैं. मुंबई महानगर पालिका का हर साल का बजट करीब 35,000 करोड़ रुपए है. यह देश की सबसे अमीर महानगर पालिका है.
शिवसेना ने मांगा था समर्थन
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण शुक्रवार को कह चुके हैं कि अगर शिवसेना को बीएमसी में सपॉर्ट चाहिए तो उसे राज्य सरकार में से बीजेपी का साथ छोड़ना होगा. शिवसेना कांग्रेस से हाथ मिलाकर एक ही झटके में बीजेपी को राज्य और बीएमसी की सत्ता से दूर करने का बड़ा दाव खेल सकती है. इसके लिए शिवसेना ने बीएमसी मेयर के लिए कांग्रेस का समर्थन की मांग की थी और उसने पार्टी को डेप्युटी मेयर का पद भी ऑफर किया है.