किस्सा कुर्सी का: इस बार कैसी सरकार चाहती है काशी की जनता?

काशी दुनिया का सबसे पूराना बसा हुआ शहर है, ईशा से भी 2000 साल पहले ये बसा हुआ है. कहा जाता है जो काशी नहीं आया, उसने दुनिया में कुछ भी महसूस नहीं किया. इसलिए कहते हैं सुबह बनारस, शाम-ए-अवध और सब-ए-मालवा. क्या विकास की गंगा बनारस की सड़को पर बहती है.

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किस्सा कुर्सी का: इस बार कैसी सरकार चाहती है काशी की जनता?

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  • February 24, 2017 5:31 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
वाराणसी: काशी दुनिया का सबसे पूराना बसा हुआ शहर है, ईशा से भी 2000 साल पहले ये बसा हुआ है. कहा जाता है जो काशी नहीं आया, उसने दुनिया में कुछ भी महसूस नहीं किया. इसलिए कहते हैं सुबह बनारस, शाम-ए-अवध और सब-ए-मालवा. क्या विकास की गंगा बनारस की सड़को पर बहती है. क्योंकि भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी क्षेत्र से सासंद हैं. साल 2014 में जब वो यहां आए थे तो उन्होंने कहा था कि मुझे मां गंगा ने बुलाया है.
 
आज  एनडीए सरकार की साल 2017 के विधानसभा चुनाव दूसरी सबसे बड़ी परिक्षा है. बनारस के आस-पास विधानसभा की 8 सीटें हैं और इन सीटों पर सभी राजनेतिक दलों की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है. चाहें वो समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी या फिर भारतीय जनता पार्टी. बीजेपी के लिए इसलिए क्योंकि यहां से प्रधानमंत्री मोदी सांसद हैं. इस बार देखा जाएगा कि क्या उनका जादू आज भी यहां के लोगों पर बरकारार है या फिर समय के साथ-साथ खत्म होता जा रहा है.
 
उत्तर प्रदेश में 11 फरवरी से 8 मार्च तक 7 चरणों में चुनाव होंगे. 11 मार्च को वोटों की गिनती होगी. चुनाव की तैयारियों में बीजेपी, बीएसपी, सपा और कांग्रेस पूरी तरह से जुट हुई हैं. इंडिया न्यूज़ के खास कार्यक्रम किस्सा कुर्सी का में देखिए काशी में चुनाव को लेकर क्या सोचते हैं लोग. 
 
जनता की तकलीफें, जनता के मुद्दे और उनकी समस्याएं. इन पर नेता वादे तो खूब करते हैं, लेकिन अमल बहुत कम होता है, मतलब दस में से सिर्फ एक या दो फीसदी. चुनाव आता है, तो वही मुद्दे हवा में तैरने लगते हैं. 
 
(वीडियो में देखें पूरा शो)

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