तेलंगाना के CM ने सरकारी खजाने से पूरी की मन्नत, तिरुमाला मंदिर में चढ़ाए 5.45 करोड़ के गहने !

हैदराबाद: तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव एक बार फिर सुर्खियों में हैं. इस बार उन्होंने तिरुपति मंदिर में साढ़े 5 करोड़ रुपए के गहने चढ़ाए. जिनमें करीब 3 करोड़ 70 लाख रुपये की लगात वाली 14 किलो 200 ग्राम सोने की शालिग्राम माला. 1 करोड़ 20 लाख रुपए की कीमत वाला 4 किलो 650 ग्राम सोने का कंठहार, 45,000 रुपये की नथुनी, कुल मिलाकर ये गहने करीब 19 किलो के हैं.
मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने ये सारे गहने तिरुपति मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर और देवी पद्मावती को चढ़ा दिए. मुख्यमंत्री अपने परिवार, मंत्रियों और आला अधिकारियों के साथ विशेष विमान से यहां पहुंचे थे. उन्होंने ये गहने अलग तेलंगाना राज्य बनने के अपने प्रण के पूरा होने पर चढ़ाए.  रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्होंने ये चढ़ावा सरकारी खर्चे से चढ़ाया है.
सूत्रों की मानें तो 2000 साल पुराने मंदिर में आजादी के बाद किसी भी राज्य की ओर से चढ़ाया गया ये सबसे बड़ा चढ़ावा है. साल 2014 के मई महीने में अलग तेलंगाना राज्य बनने के बाद मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव पहली बार तिरुपति आए थे.
दरअसल, चंद्रशेखर राव ने अलग तेलंगाना राज्य बनने पर अलग-अलग मंदिरों में देवी-देवताओं को गहने चढ़ाने का संकल्प लिया था. इससे पहले, अक्टूबर 2016 में मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने वारंगल के भद्रकाली मंदिर में भी 11 किलो 200 ग्राम सोने का मुकुट भेंट किया था. उसकी कीमत साढ़े 3 करोड़ रुपये थी.
बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में सीएम वारंगल के वीरभद्र स्वामी मंदिर जाने वाले हैं और वहां सोने की मूंछें भेंट करने वाले हैं. विपक्ष जनता का पैसा इस तरह बर्बाद करने का विरोध कर रहा है. इससे पहले राव तब विवादों में घिरे थे जब 9 एकड़ जमीन पर उन्होंने 50 करोड़ कीमत में आलीशान बंगला बनवाया था. इस बंगले की खिड़कियां भी बुलेटप्रूफ हैं.
अंदर की बात ये है कि चंद्रशेखर राव की इमेज अब ऐसे राजनेता की बन चुकी है, जो घोर अंधविश्वासी है. उन्होंने अपने आवास और तेलंगाना सरकार के सचिवालय को बनाने में वास्तु का ख्याल रखने की खास हिदायत दी और इस पर पानी की तरह पैसे खर्च किए.
यहां तक कि केसीआर ने अपने वास्तु सलाहकार को तेलंगाना सरकार में बिल्डिंग और रोड डिपार्टमेंट का सलाहकार बनाकर कैबिनेट मंत्री का दर्ज़ा भी दे रखा है. केसीआर को लगता है कि चूंकि तेलंगाना राज्य उनके आंदोलन की वजह से बना, इसलिए राज्य का खजाना वो अपने मन की मुरादें पूरी करने में भी खर्च कर सकते हैं.
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