नई दिल्ली: चुनाव में किसी वोटर ने वोट डाला या नहीं इसकी पहचान उसकी उंगली में लगी स्याही से होती है. लेकिन अगर वोटर की उंगली ही फर्जी हो तो फिर आप क्या कहेंगे. सोशल मीडिया पर आजकल ऐसे ही नकली उंगली का वीडियो वायरल हो रहा है. ये वीडियो देश की पूरी चुनाव व्यवस्था पर ही सवाल खड़े कर रहा है.
वोटिंग के बाद वोटरों की ऊंगलियों में लगी स्याही के निशान लगाने के बाद ये तय हो जाता है कि इसने अपना वोट डाल दिया. लेकिन एक ही वोटर अगर अपनी ऊंगली बदलकर बार-बार वोटिंग करे तो ये चुनावी व्यवस्था पर एक प्रशन खड़ा करता है.
इस वीडियो में तकनीकि आधार पर ऊंगली पर केमिकल का लेप लगा और चंद मिनटों में नकली ऊंगली तैयार कर लेते हैं. ऐसा करके कोई वोटर फर्जी वोटिंग कर दे तो किसी को पता भी नहीं चलेगा. एक बार वोटिंग के बाद वोटर स्याही लगी ऊंगली को बदलकर नई ऊंगली लगाकर इस तकनीक का गलत इस्तेमाल कर सकता है.
लोकतंत्र के लिए ये तकनीक बेहद खतरनाक साबित हो सकती है. तभी पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने इसे लेकर ये तस्वीर ट्विट किया है. इस तकनीक का इस्तेमाल सिर्फ वोटिंग ही नहीं बल्कि फिंगर प्रिंट या फिर किसी गैजेट का लॉक खोलने में भी हो सकता है.
कैसे बनती है नकली ऊंगली ?
जिस तकनीक के जरिए ये नकली उंगली बनाई जा रही है उसे प्रोस्थेसिस कहते हैं. मेडिकल फील्ड में प्रोस्थेसिस उन लोगों के लिए एक वरदान की तरह है, जो दुर्घटना या फिर बीमारी की वजह से अपना कोई अंग गंवा देते हैं. प्रोस्थेसिस के जरिए ऐसे लोगों को कृत्रिम अंग तैयार करके लगाया जाता है. मॉडर्न मेडिकल साइंस में अब प्रोस्थेसिस के साथ रोबोटिक तकनीक का इस्तेमाल करके कृत्रिम हाथ और पैर भी बनाए जा रहे हैं.
अंदर की बात ये है कि सिर्फ यूपी नहीं, बल्कि महाराष्ट्र के नगर निगमों के चुनाव में भी नकली उंगली से फर्जी वोटिंग की खबरें सोशल मीडिया पर खूब फैलाई जा रही हैं. हालांकि सच्चाई ये है कि इस तरह की नकली उंगलियों का निर्माण जापान में होता है, जहां जापानी माफिया याकुज़ा इनका इस्तेमाल करते हैं. याकुज़ा के बीच ये रिवाज़ है कि गैंग से गद्दारी करने वाले की उंगली काट दी जाती है. याकुज़ा गैंग के सदस्य उसी कटी उंगली को छिपाने के लिए नकली उंगलियां लगाते हैं.