नई दिल्ली : नोटबंदी के बाद करीब 9 लाख खाते आयकर विभाग की जांच के दायरे में हैं. इन खातों को ‘संदिग्ध’ खातों की श्रेणी में रखा गया है. हालांकि, उनके खिलाफ कार्रवाई 31 मार्च को सरकार की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना खत्म होने के बाद की जाएगी.
टाइम्स आॅफ इंडिया की खबर के मुताबिक ‘ऑपरेशन क्लीन मनी’ के तहत आयकर विभाग ने 18 लाख लोगों को एसएमएस और ईमेल भेजे थे. विभाग को मिले डेटा के विश्लेषण के बाद यह बात सामने आई कि इन लोगों ने 1000 और 500 रुपये के पुराने नोट जमा कराने के लिए मिले 50 दिनों के दौरान 5 लाख से ज्यादा रुपये अपने बैंक खातों में जमा कराए. इन लोगों को खातों में जमा राशि के स्रोत का खुलासा करने के लिए भी कहा गया था.
कमाई में अचानक बढ़ोतरी होगी कालाधन
सरकार में सूत्रों ने अनुसार जिन लोगों ने स्रोत के संबंध में विभाग को कोई जवाब नहीं उनके पास जरूर अपनी जमा का ‘बेहतर कानूनी स्पष्टीकरण’ होगा और हो सकता है कि वे इसे अपनी रिटर्न में दिखाएं.
हालांकि, उस राशि को सर्फ आयकर रिटर्न में दिखा देना काफी नहीं होगा क्योंकि अगर पिछले सालों की तुलना में 2016-17 की कमाई में अप्रत्याशित बढ़ोतरी देखी जाती है तो उसे कालाधन ही माना जाएगा और कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
करीब 5 लाख लोगों ने भेजे जवाब
एक सूत्र ने कहा कि एसएमएस और ईमेल को कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त न होने के कारण आयकर विभाग को ऐसे लोगों को औपचारिक नोटिस भेजने होंगे. साथ ही सरकार की योजना खत्म होने तक 31 मार्च तक इंतजार करना होगा.
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत कालाधन रखने वाले लोगों को एक मौका दिया गया है कि वे अपनी घोषित संपत्ति का 50 प्रतिशत टैक्स देकर और कुल राशि का 25 प्रतिशत चार साल तक बिना ब्याज वाले खाते में जमा करवा कर साफ हो जाएं.
सूत्रों के अनुसार 18 लाख में से कम से कम 9 लाख अकाउंट्स संदिग्ध माने जा रहे हैं. वहीं, 18 लाख में से 5.27 लाख लोगों ने 12 फरवरी तक अपना जवाब विभाग को भेज दिया है.