नई दिल्ली: गजल सम्राट जगजीत सिंह हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके गीत आज भी हमें उनकी याद दिलाते हैं. लेकिन क्या हो अगर हम आपको बताएं कि जगजीत सिंह का पुनर्जन्म हो गया है और ये पुनर्जन्म किसी नए सिंगर के लिए नहीं कहा जा रहा. तो फिर यहां सवाल ये है कि आखिर जगजीत सिंह अपने पुनर्जन्म में किस रुप में सामने आए हैं.
श्रीगंगानगर में जगजीत सिंह की दिवानगी लाजमी है क्योंकि यही वो जगह है जहां जगजीत सिंह का जन्म हुआ था. यहीं कि गलियों में उनका बचपन गुजरा और श्रीगंगानगर की मिट्टी पर ही उन्होंने संगीत के गुर सिखे और आज उनकी आवाज अमर है. शायद इसीलिए श्रीगंगानगर की मिट्टी एक और जगजीत सिंह तैयार करने के लिए बेताब हैं.
जगजीत की गजलों के करोड़ों दिवाने हैं लेकिन श्रीगंगानगर में पैदा हुए जगमोहन सिंह का जगजीत सिंह बनने का सफर आसान नहीं था. आजादी के बाद के हिंदुस्तान में तो ये सफर और भी मुश्किल था. वो दौर अपने पैरों पर खड़े हो रहे एक देश का था जिसमें रोजी रोटी के लिए हर इंसान 24 घंटे मशक्कत करता था और जिसमें संगीत और सुर के लिए कोई जगह नहीं थी. ऐसे में राजस्थान के गंगानगर से कैसे निकला एक होनहार नौजवान.
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