लखनऊ: उत्तर प्रदेश में शनिवार को हुए पहले चरण के मतदान में 64.22 फीसदी वोटिंग हुई है. पिछली बार पहले चरण में कुल 61.3 फीसदी वोटिंग हुई थी. जाहिर है इस बार वोटिंग प्रतिशत बढ़ा है जो निश्चित ही स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत है.
प्रतिष्ठा से जुड़ी इन पांच सीटों पर रहेगी नजर
पहले चरण की इन पांच सीटों पर सबकी नजर बनी हुई है. इन सीटों में मेरठ, सरधना, नोएडा, कैराना और थाना भवन सीट शामिल है. मेरठ से भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी लगातार नौंवी बार चुनाव मैदान में हैं वहीं मुजफ्फरनगर दंगों से चर्चा में आए संगीत सोम मेरठ की सरधना सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.
बीजेपी के लिए सुरक्षित सीट कही जाने वाली नोएडा सीट से गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह पहली बार चुनाव मैदान में हैं. वहीं हिंदुओं के पलायन से सुर्खियों में आई कैराना सीट से यहां के मौजूदा भाजपा सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका बीजेपी उम्मीदवार हैं.
गन्ना बेल्ट की सीटें तय करती हैं पार्टी का भविष्य
पहले चरण में पश्चिमी यूपी के 15 जिलों की 73 विधानसभा सीटों पर वोट डाले गए जिन्हें आम तौर पर गन्ना बेल्ट भी कहा जाता है. जिन जिलों में वोटिंग हुई उनमें शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, आगरा, फिरोजाबाद, एटा और कासगंज शामिल हैं. पहले चरण में कुल 839 प्रत्याशी मैदान में थे जिनकी किस्मत ईवीएम मशीन में कैद की जा चुकी है.
पिछले विधानसभा चुनावों के परिणाम पर नजर डालें तो साल 2012 में इन 73 सीटों में से 24 सपा, 24 बसपा, 12 भाजपा, 9 राष्ट्रीय लोक दल और 5 सीटें कांग्रेस पार्टी ने जीती थी.
किसका नफा-किसका नुकसान?
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस बार मुकाबला त्रिकोणीय नहीं बल्कि बहुकोणीय है. प्रदेश की सत्ताधारी समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस से हाथ मिलाया है. वहीं दूसरी ओर बीजेपी है जिसने साल 2014 के लोकसभा चुनावों में सूबे की ज्यादातर सीटों पर जीत दर्ज की थी. तीसरी पार्टी है मायावती की बहुजन समाज पार्टी और चौथी पार्टी है राष्ट्रीय लोकदल जिसका पश्चिमी यूपी में खासा असर है.
कौन जीतेगा यूपी का रण?
जीत को लेकर सट्टा बाजार गर्म है क्योंकि इस बार ये कह पाना काफी मुश्किल है कि प्रदेश में कौन सी पार्टी की हवा चल रही है. हर पार्टी अपनी जीत का दावा कर रही है लेकिन कोई भी राजनीतिक पंडित किसी भी पार्टी की जीत की भविष्यवाणी नहीं कर रहा. हां, इतना जरूर अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार यूपी में किसी को स्पस्ट बहुमत नहीं मिलेगा. नतीजे आने में एक महीने से ज्यादा का समय है. ऐसे में अभी से कुछ भी कह पाना काफी मुश्किल है. देखना होगा कि यूपी चुनाव का ऊंट किस करवट बैठता है.