Advertisement
  • होम
  • देश-प्रदेश
  • कहीं उद्धव ठाकरे को कांग्रेस का ‘हाथ’ तो पसंद नहीं आ गया!

कहीं उद्धव ठाकरे को कांग्रेस का ‘हाथ’ तो पसंद नहीं आ गया!

रेनकोट विवाद में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भी कूद गए हैं. इस विवाद के बहाने उन्होंने पीएम मोदी पर हमला बोला है. उद्धव ने कहा - आपने बिना पानी पूरे देश को नहला दिया. पीएम के इस बयान की गूंज मुंबई के बीएमसी चुनावों में भी सुनी गई. उद्धव ठाकरे ने पीएम के इस बयान पर तंज किया.

Advertisement
  • February 10, 2017 6:12 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
मुंबई: रेनकोट विवाद में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भी कूद गए हैं. इस विवाद के बहाने उन्होंने पीएम मोदी पर हमला बोला है. उद्धव ने कहा – आपने बिना पानी पूरे देश को नहला दिया. पीएम के इस बयान की गूंज मुंबई के बीएमसी चुनावों में भी सुनी गई. उद्धव ठाकरे ने पीएम के इस बयान पर तंज किया.
 
 
मुंबई में उद्धव ठाकरे ने कहा कि मोदी को लगा कि मनमोहन सिंह के पास रेनकोट पहन कर नहाने की कला है लेकिन आपने तो बिना पानी के देश को नहला दिया. उद्धव ने साथ ही नोटबंदी पर भी निशाना साधा और बोले – आपने तो बिना साबुन के झाग भी पैदा कर दिया. 
 
 
चूंकि, शिवसेना और बीजेपी बीएमसी का चुनाव अलग-अलग लड़ रही हैं, लिहाज़ा बीजेपी शिवसेना से पानी का हिसाब मांग रही है. शिवसेना ने जब से निकाय चुनावों के लिए गठबंधन तोड़ने का ऐलान किया, तभी से शिवसेना और बीजेपी के नेताओं में जुबानी जंग और तेज हो गई.
 
 
शिवसेना इस बार बीजेपी से अलग होकर बीएमसी की सभी 227 सीटों पर उम्मीदवार उतारने जा रही है. दरअसल, बीजेपी 114 सीटों की मांग रही थी जबकि शिवसेना ने उसे 90 सीटें देने का आखिरी ऑफर भेजा था.
 
 
बीजेपी इस पर राजी नहीं हुई और शिवसेना ने अपने रास्ते अलग कर लिए. इससे पहले 2014 का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव भी दोनों ने अलग-अलग ही लड़ा था. बीजेपी को 122 जबकि शिवसेना को 63 सीटें मिली थीं.
 
 
विपक्ष में बैठने के बाद शिवसेना सरकार में शामिल हुई. पिछले साल हुए कल्याण-डोम्बिवली नगर निगम चुनाव में भी दोनों एक दूसरे के खिलाफ लड़े लेकिन चुनाव के बाद एक साथ आ गए. 
 
 
अंदर की बात ये है कि बीजेपी पर दबाव बढ़ाने के लिए शिवसेना ने कांग्रेस की तारीफ का दांव खेला है. बिना कहे शिवसेना अब ये समझाना चाहती है कि महाराष्ट्र में वो बीजेपी को झटक कर कांग्रेस का हाथ भी थाम सकती है. वैसे भी बिहार और यूपी में हुए गठबंधन से ये भ्रम दूर हो गया है कि विरोधी विचारधारा वाली पार्टियां एक साथ नहीं आ सकती हैं.

Tags

Advertisement