लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पहले दौर की वोटिंग के लिए प्रचार खत्म हो गया है. पूरे देश की नज़रें अब पश्चिमी यूपी की उन 73 सीटों पर टिक गई हैं जहां शनिवार को वोट डाले जाएंगे. गुरुवार शाम घड़ी में 5 बजते ही पहले चरण के प्रचार का शोर थम गया.
पश्चिमी यूपी के 15 जिलों की 73 सीटों पर 11 फरवरी को वोट डाले जाएंगे. इनमें शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, आगरा, फिरोजाबाद, एटा और कासगंज जिले की सीटें शामिल हैं.
पहले दौर में जिनकी किस्मत का फैसला होगा उनमें राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह, संगीत सोम, लक्ष्मीकांत वाजपेयी और श्रीकांत शर्मा शामिल हैं. पहले चरण के लिए कुल 839 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. इनमें बीजेपी के 73, बीएसपी के 73, समाजवादी पार्टी के 51, कांग्रेस के 24 और राष्ट्रीय लोक दल के 57 उम्मीदवार हैं.
पिछले विधानसभा चुनाव में इन 73 सीटों के नतीजों पर गौर करें तो समाजवादी पार्टी और बीएसपी के खाते में 24-24 सीटें आईं थीं. बीजेपी को 11, जबकि आरएलडी को 9 और कांग्रेस को 5 सीटें मिली थीं.
यूपी में चुनावी घोषणाओं और काम के आधार पर ही वोट नहीं डाले जाते. जाति और धर्म का फैक्टर भी अहम भूमिका निभाता है. इस बात की पुष्टि करते हुए आज अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा ने बीएसपी के पक्ष में अपने समर्थन की घोषणा की है.
दिल्ली के जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी ने भी यूपी विधानसभा चुनाव में बीएसपी को समर्थन देने का ऐलान किया है. पिछले विधानसभा चुनाव में इमाम बुखारी ने समाजवादी पार्टी का समर्थन किया था.
पश्चिमी यूपी में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा यानी करीब 26 फीसदी है. रामपुर, मुरादाबाद, अमरोहा, सहारनपुर और बिजनौर में मुस्लिमों की आबादी अच्छी खासी है.
मेरठ औऱ उसके आसपास के इलाकों में मुस्लिम आबादी 35 से 45 प्रतिशत तक है. इसी समीकरण को ध्यान में रखते हुए पश्चिमी यूपी की कुल 140 विधानसभा सीटों पर बीएसपी ने 50 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं. एसपी-कांग्रेस गठबंधन भी 42 मुस्लिम उम्मीदवारों के साथ यहां चुनावी मैदान में हैं.