अमावस्या की रात में भारतीय सेना ने इस तरह दिया था सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम

पिछले साल उरी हमले के बाद भारतीय जवानों ने 29 सिंतबर को नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार जाकर आतंकियों के लॉन्च पैड को ध्वस्त करते हुए सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था. इस मिशन में भारतीय सेना अपनी जान की परवाह किए बिना आतंकियों पर भारी पड़ गए थे.

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अमावस्या की रात में भारतीय सेना ने इस तरह दिया था सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम

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  • February 9, 2017 7:06 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली: पिछले साल उरी हमले के बाद भारतीय जवानों ने 29 सिंतबर को नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार जाकर आतंकियों के लॉन्च पैड को ध्वस्त करते हुए सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था. इस मिशन में भारतीय सेना अपनी जान की परवाह किए बिना आतंकियों पर भारी पड़ गए थे.
 
इस ऑपरेशन में प्लानिंग से लेकर कई लोगों का योगदान था. इस मिशन को सफल कैसे बनाया उसके पीछे की कहानी को बताने से सरकार ने पहले साफ मना कर दिया था लेकिन मिशन में शामिल टीम को गणतंत्र दिवस के मौक पर मेडल्स से सम्मानिता किए जाने के बाद सर्जिकल स्ट्राइक के पीछे की कहानी सामने आ रही है.
 
 
गणतंत्र दिवस के मौके पर 4 स्पेशल पैरा फोर्सेज और 9वीं बटालियन के जवानों को युद्ध सेवा मेडल से सम्मानित किया गया. इनमें एक कर्नल, पांच मेजर, दो कैप्टन, एक सूबेदार, दो नायब सूबेदार, तीन हवलदार, एक लांस नायक और चार पैराट्रूपर्स के जवान थे.
 
सर्जिक स्ट्राइक में शामिल थे 19 जवान
 
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस ऑपरेशन में बहुत सारे लोग शामिल थे लेकिन 19 जवान इस अभियान का केंद्रीय हिस्सा थे.उरी हमले में 17 जवान शहीद हो गए थे जिस वजह से आम जनता के साथ-साथ फौजियों में भी गुस्सा था. ऐसे में आतंकियों को कड़ा जवाब देने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाई गई.
 
इस मिशन के लिए सही वक्त का इंतजार किया गया और सर्जिकल स्ट्राइक के लिए अमावस्या की रात को चुना गया क्योंकि उस यह रात काफी अंधरी होती है. 29 सितंबर की रात किर्ति चक्र से सम्मानित मेजर रोहित सूरी ने आठ फौजियों के साथ इस ऑपरेशन को अंजाम दिया. इस टीम को आदेश आंतकी ढांचे को नष्ट करने का आदेश दिया गया था.
 
 
मेजर सूरी की टीम ने आतंकियों के ठिकाने पर हमला बोलते हुए जब अपने लक्ष्य के लगभग 50 मीटर के करीब पहुंचे तो दो आतंकियों को मौके पर ढेर कर दिया. इसी बीच यूएवी ने जंगल में 2 आतंकियों के हलचल होने संकेत दिए. सूरी ने खुद जान की परवाह किए बिना वो उनका पीछा किया और उन्हें ढेर कर दिया.
 
मिशन के 48 घंटे पहले आतंकियों के लॉन्च पैड पर निगाह
 
एक दूसरे मेजर को 27 सितंबर को ही आतंकियों के लॉन्च पैड पर निगाह रखने का आदेश दे दिया गया था. इसलिए वह मेजर अपनी टीम के साथ स्ट्राइक होने के 48 घंटे पहले एलओसी पार कर सर्विलांस कर रहा था. इस टीम ने पूरे टारगेट जोन की मैपिंग की और हथियारों को रखने की जगह को नष्‍ट किया और दो आतंकियों को ढेर कर दिया.जब यह सैन्‍य कार्रवाई हो रही थी तभी एक दूसरी जगह से उन पर गोलियां चलाई जाने लगीं. इस मेजर ने तुरंत वहां जाकर वहां छिपे एक आतंकी को मार गिराया. इसी मेजर को शौर्य चक्र से नवाजा गया है.
 
आतंकियों का कैंप किया तबाह
 
इसी बीच तीसरे मेजर ने अपने साथियों के साथ मिलकर आतंकियों के कैंप को पूरी तरह से तबाह कर दिया. वहां सो रहे सभी आतंकवादी मारे गए. यह अफसर ऑपरेशन के दौरान अपने उच्‍च अधिकारियों को ऑपरेशन के बारे में हर अपडेट दे रहा था.
 
इसके अलावा चौथे मेजर को ग्रेनेड हमले से दुश्‍मन के ऑटोमेटिक हथियारों को नष्‍ट करने और नजदीक से दो आतंकियों को मार गिराने की वजह से सेना मेडल से नवाजा गया है.
 
उसके बाद आंतकी काफी सक्रीय हो गए थे. पांचवें मेजर ने जब तीन आतंकियों को देखा कि वे आरपीजी (रॉकेट प्रोपेल्‍ड ग्रेनेड) से चौथे मेजर की टीम पर हमला करने जा रहे हैं तो उसने अपनी जान पर खेलकर उन तक पहुंचकर दो आतंकियों को मार गिराया. तीसरे आतंकी को उसके साथी ने ढेर कर दिया.
 
आपको बता दें कि सर्जिकल स्ट्राइक के इस ऑपरेशन में एक भी भारतीय जवान शहीद नहीं हुआ था लेकिन इस सर्विलांस टीम का एक सदस्‍य घायल हो गया था. अधिकारियों के साथ-साथ जवानों ने भी अप्रतिम साहस का परिचय दिया. 

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