बेंगलुरु. भारत समलैंगिक यौन संबंध को अपराध की श्रेणी में डालने वाली आईपीसी की धारा 377 को खत्म कर सकता है. इसके अलावा समलैंगिकों के विवाह को कानूनी मान्यता देने पर भी विचार किया जा सकता है. यह कहना है केंद्रीय कानून मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा का. हालांकि, ऐसा कदम उठाने से पहले व्यापक विचार-विमर्श और सभी पहलुओं पर चर्चा करनी होगी.
गौड़ा ने कहा कि ट्रांसजेंडर्स के अधिकारों के बारे में हाल में पेश विधेयक को इंडियन गे कम्युनिटी के लिए एक मॉडल बनाया जा सकता है. मूड तो इसके पक्ष में लग रहा है. वह अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछले हफ्ते समलैंगिकों की शादियों कानूनी रूप से वैध करार दिए जाने के परिपेक्ष्य में बोल रहे थे. अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की भारत में सोशल मीडिया पर काफी सराहना की गई थी.
गौड़ा ने कहा कि डीएमके सांसद तिरुचि शिवा ने राज्यसभा में ट्रांसजेंडर्स के अधिकारों पर प्राइवेट मेंबर्स बिल पेश किया था. इसका जोरदार तरीके से स्वागत हुआ था. गौड़ा ने कहा कि वह बिल राज्यसभा ने अप्रैल में पास किया था. यदि लोकसभा में भी वह पास हो जाए, तो कानून बन जाएगा और धारा 377 बेकार हो जाएगी.
गौड़ा का यह नजरिया इस लिहाज से अहम है कि वह रूढ़िवादी सामाजिक मान्यताओं का पालन करने वाले दक्षिण कन्नड़ जिले से ताल्लुक रखते हैं. इस इलाके में संघ परिवार का प्रभाव अधिक है. समलैंगिकता के बारे में संघ परिवार की राय भी अब तक नकारात्मक रही है.
एजेंसी
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