दिल्ली/कर्नाटकः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए जगद्गुरु माधवाचार्य के 7वीं जन्मशताब्दी समारोह में शामिल हुए. पीएम मोदी ने कहा कि ये हमारे समाज की विशेषता है कि जब भी बुराइयां आई हैं, तो सुधार का काम समाज के बीच में ही किसी ने शुरू किया है.
पीएम मोदी ने कहा कि ये भारतीय समाज की अद्भुत क्षमता है कि समय-समय पर हमें ऐसे महापुरुष मिले, जिन्होंने इन बुराइयों को पहचाना, उनसे मुक्ति का रास्ता दिखाया. हमारा इतिहास गवाह है कि हमारे संतों ने जो गलत रीतियां चली आ रही थीं, उन्हें सुधारने के लिए जनआंदोलन शुरू किया, इस जनआंदोलन को भक्ति से जोड़ा.
PM मोदी ने कहा कि आदि शंकराचार्य ने देश के चारों कोनों में जाकर लोगों को सांसारिकता से ऊपर उठकर ईश्वर में लीन होने का रास्ता दिखाया. संत कबीर ने भी जाति प्रथा और कर्मकांडों से समाज को मुक्ति दिलाने के लिए अथक प्रयास किया.
PM मोदी ने आगे कहा कि भक्ति आंदोलन के दौरान धर्म, दर्शन और साहित्य की एक ऐसी त्रिवेणी स्थापित हुई, जो आज भी हम सभी को प्रेरणा देती है. गुजरात के महान संत नरसिंह मेहता कहते थे, वाच-काछ-मन निश्चल राखे, परधन नव झाले हाथ रे. वो कहते थे कि जैसे हम सरकार को टैक्स देते हैं, वैसे ही जब हम मानवता की सेवा करते हैं, तो वो ईश्वर को टैक्स देने की तरह होता है.
PM मोदी ने कहा कि श्री मध्वाचार्य जी ने हमेशा जोर दिया कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता, पूरी निष्ठा से किया गया कार्य ईश्वर की पूजा करने की तरह होता है. हिंदुस्तान के पास ऐसे महान संत-मुनि रहे हैं रहे हैं जिन्होंने अपनी तपस्या, ज्ञान का उपयोग राष्ट्र का निर्माण करने के लिए किया.
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि सामाजिक बुराइयों को खत्म करते रहने की महान संत परंपरा के कारण ही हम सदियों से अपनी सांस्कृतिक विरासत को सहेज पाए हैं. विश्व के देशों में जीवन जीने के मार्ग में जब भी किसी प्रकार की बाधा आती है तब दुनिया की निगाहें भारत की संस्कृति टिक जाती हैं. विविधता को हम केवल स्वीकार नहीं करते उसका उत्सव मनाते है.