राज्यसभा में यूनिफॉर्म सिविल कोर्ड पर चर्चा के लिए JDU ने दिया नोटिस

नई दिल्ली: यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है. जेडीयू ने शुक्रवार को इस मुद्दे को लेकर संसद में नोटिस देकर सरकार से जवाब मांगा है.
शुक्रवार को राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही जेडीयू नेता शरद यादव ने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बहस के लिए नोटिस दिया. जेडीयू ने इस मुद्दे पर सरकार के जवाब की मांग की. दरअसल, पिछले दिनों कानून मंत्रालय ने लॉ कमीशन को चिट्ठी लिखकर देश में समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर राय मांगी थी.
इसके बाद लॉ कमीशन ने इसे लेकर एक प्रश्नावली तैयार की थी. इस प्रश्नावली पर कमीशन ने रायशुमारी शुरू की थी. इसमें आम लोग के अलावा राजनीतिक दलों से इस मुद्दे पर उनकी राय मांगी गई थी. इसी को लेकर जेडीयू और बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने विरोध जताया है.
सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक के अलग-अलग मामलों को लेकर केन्द्र से हलफनामा मांगा गया था. अपने हलफनामे में केन्द्र सरकार ने कहा था कि वो तीन तलाक के खिलाफ है क्योंकि ये महिला के समान अधिकार का उल्लंघन है.
इसके बाद ही केन्द्र ने लॉ कमीशन से इसको लेकर रिपोर्ट मांगी थी. कमीशन ने अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिए आम लोगों और राजनीतिक दलों से उसकी राय मांगी थी. इसी रायशुमारी के आधार पर कमीशन केन्द्र को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा.
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड ?
यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है देश में हर नागरिक के लिए एक समान कानून का होना है. फिर भले ही वो किसी भी धर्म या जाति से ताल्लुक क्यों न रखता हो. संविधान के अनुच्छेद 44 में यूनिफॉर्म सिविल कोड का जिक्र किया गया है. लेकिन ये डायरेक्टिव प्रिंसपल हैं, यानी इसे लागू करना या न करना पूरी तरह से सरकार पर निर्भर करता है.
फिलहाल देश में अलग-अलग मजहबों के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ हैं. यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से हर मजहब के लिए एक जैसा कानून आ जाएगा. यानी मुस्लमानों को भी तीन शादियां करने और पत्नी को महज तीन बार तलाक बोल देने से रिश्ता खत्म कर देने वाली परंपरा खत्म हो जाएगी.
अंदर की बात ये है कि जेडीयू का यूनिफॉर्म सिविल कोड वाला दांव सिर्फ यूपी चुनाव में बीजेपी को घेरने के लिए है. शरद यादव चाहते हैं कि समान नागरिक संहिता पर बीजेपी अपना रुख साफ करे और चुनाव के समय अल्पसंख्यकों की नाराजगी झेले. वैसे जेडीयू को ये मौका खुद बीजेपी ने दिया है, जिसने यूपी के चुनावी घोषणा पत्र में तीन तलाक को मुद्दा बनाया है.
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