मुंबई: महाराष्ट्र के मुबंई क्राइम ब्रांच में कॉल डाटा रिकॉर्ड बेचने वाले प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसी का भंडाफोड़ किया है. क्राइम ब्रांच के यूनिट 9 ने इस मामले में डिटेक्टिव एजेंसी चलाने वाले दो लोगो लक्षमन ठाकुर और कीर्तिश कवी नाम के दो शख्स को धोखाधडी और इंडियन टेलीग्राफ एक्ट के तहत गिरफ्तार किया है.
क्राइम ब्रांच यूनिट 9 को सौंपा गया मामला
मुबंई पुलिस कमिश्नर को एक बड़े कॉर्पोरेट हाउस ने शिकायत की थी की उनकी राइवल कंपनी प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसियो के साथ मिलकर उनके कर्मचारियो के कॉल रिकॉर्ड हासिल कर रही है. राइवल कंपनियों के इस हरकत से उन्हें बिजनस में भारी नुकसान उठाना पड़ रहा था. शिकायत के बाद मुंबई पुलिस हरकत में आयी और जांच की जिम्मेदारी क्राइम ब्रांच यूनिट 9 को सौंपा गया.
क्राइम ब्रांच का खबरी बना बिजनसमैन
क्राइम ब्रांच ने अपने एक खबरी को जुहू कोलीवाड़ा में मास्टरमाइंड डिटेक्टिव चलाने वाले लक्ष्मण ठाकुर के पास भेजा. क्राइम ब्रांच के खबरी ने खुद को एक बड़ा बिजनसमैन बता लक्ष्मण ठाकुर से एक किसी नंबर की सीडीआर की मांग की. लक्ष्मण ने सीडीआर देने के एवज़ में पचास हज़ार की मांग की.
होटल में करवाया गिरफ्तार
खबरी ने 10000 रुपए अडवांस दिए और बाकी काम होने के बाद देने का वादा किया. तीन दिनों के बाद लक्ष्मण ठाकुर ने खबरी को बाकी के पैसों के साथ बांद्रा के एक होटल में बुलाया जहां उसे सीडीआर सहित पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.
साथी भी हुआ गिरफ्तार
पूछताछ में ठाकुर ने मुंबई के गोरेगांव में कॉस्मोपॉलिटन डिटेक्टिव एजेंसी चलाने वाले कीर्तिश कवी का नाम बताया. ठाकुर ने बताया कि कॉल डाटा रिकॉर्ड उसे कवी ही मुहैया कराता था. पुलिस ने कवी को भी गिरफ्तार कर लिया है.
कंपनियो की थी मिलीभगत
इस मामले के तार सर्विस प्रोवाइडर कंपनियो तक भी जा रही है. पुलिस के मुताबिक बिना सर्विस प्रोवाइडर कंपनियो के मिलीभगत के इस तरह से सीडीआर निकलना मुश्किल है. पुलिस के मुताबिक इन दोनों प्राइवेट कंपनियो ने इंटरनेट पर दिए गए विज्ञापनों में भी बताया था कि वो फोन के अंदर गुप्त जानकारी भी मुहैया कराते है.
अपनी बीवीओं/पातियों की भी करवाते थे जांच
गिरफ्तार दोनों लोगों के पास से कई और सीडीआर मिले और साथ ही दोनों के फोन मे मौजूद वाट्सअप मैसेज में पता चला है कई कॉर्पोरेट जगत में काम करने वाले लोग अपने राइवल के सीडीआर के लिए इनदोनो से टच में थे. पुलिस के मुताबिक इन दोनों कॉर्पोरेट जगत के लोगो के साथ-साथ कई अपनी बीवीओं/पातियों के सीडीआर निकालने के लिए इन प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसियो के संपर्क में रहते है.
दिल्ली के 2 एसपी से भी जुड़े तार
इससे पहले चार साल पहले भी मुंबई क्राइम ब्रांच ने ऐसे ही गैरकानूनी तरीके से सीडीआर बेचने वाली डिटेक्टिव एजेंसियो का पर्दाफास किया था जिसमे कई सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों के लोग भी गिरफ्तार हुए थे. उस मामले के तार तब दिल्ली के दो एसीपी के दफ्तर से भी जुड़े थे लेकिन बाद में पुलिस ने मामले को ठन्डे बस्ते में डाल दिया था.
अरुण जेटली ने उठाया था मामला
कुछ साल पहले तत्कालीन राज्य सभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली के कॉल रिकॉर्ड बेचे जाने का मामला भी सामने आया था जिसमे दिल्ली पुलिस के लोग भी गिरफ्तार हुए थे.