नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एयरसेल-मैक्सिस डील के मामले में मारन बंधुओं को बरी करने के आदेश पर रोक लगाने से मना कर दिया है. कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस पर सरकार और जांच एजेंसी अपील करेंगे तो विचार होगा इसके लिए सिर्फ विशेष सरकारी वकील काफी नहीं है.
बता दें कि ट्रायल कोर्ट ने पूर्व दूर संचार मंत्री दयानिधि मारन और उनके भाई कलानिधि मारन और इससे जुड़े अन्य आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत न मिलने की वजह से उन्हें कल बरी कर दिया था. मामले की अगली सुनवाई 8 फरवरी को होगी.
आपको बता दें कि इस मामले की पूरी जांच ईडी और सीबीआई कर रही थी, लेकिन इस फैसले के खिलाफ आज ईडी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. ईडी ने इस फैसले पर अपना तर्क दिया था कि सीबीआई ने प्रक्रिया का सही ढंग से पालन नहीं किया है. इसलिए मारन बंधुओ को मुक्त करने के फैसले पर रोक लगनी चाहिए.
क्या था पूरा मामला
मारन बंधुओं पर आरोप था कि उन्होंने मोबाइल कंपनी एयरसेल पर दबाव डालकर मैक्सिस को शेयर बेचने के लिए कहा था. यूपीए सरकार के समय हुई इस डील के समय दयानिधि मारन दूरसंचार मंत्री थे. इस मामले में मारन बंधुओं सहित सीबीआई और ईडी ने मामला दर्ज कर आरोपपत्र दाखिल किए थे.
आपको बता दें कि जांच एजेंसियों की ओर से दाखिल की गई चार्जशीट में कहा गया था कि 2006 में दयानिधि ने कंपनी के प्रमोटर सी शिवशंकरन पर दबाव डाला था कि वह एयरसेल और इससे जुड़ी दो कंपनियों के शेयर मलेशिया की कंपनी मैक्सिस को बेच दे.
कौन-कौन था आरोपी
इस मामले के सामने आने के बाद राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया और सीबीआई ने मारन बंधुओं, मलेशिया निवासी एआर मार्शल, टी. आनंद कृष्णनन, मलेशिया की कंपनी एस्ट्रो ऑल एशिया नेटवर्क, मैक्सिस कम्यूनिकेशन, सन डायरेक्ट टीवी प्रा.लि., साउथ एशिया एफएम लिमिटेड सहित आठ लोगों को आरोपी बनाया. वहीं ईडी ने इस मामले में छह लोगों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिग के तहत 6 लोगों को आरोपी बनाया था.