नई दिल्ली: पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 73 सीटों पर जाटों का दबदबा है. इन सीटों पर 17 फीसदी आबादी जाटों की है. पश्चिमी यूपी में 11 फरवरी को चुनाव है. इसी बीच हरियाणा में आरक्षण के लिए जाटों ने आंदोलन शुरू कर दिया है. हरियाणा और पश्चिमी यूपी के जाटों में करीबी रिश्ते हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि जाट आरक्षण का यूपी चुनाव में असर पड़ सकता है.
हरियाणा के जाट शिक्षा और नौकरी में आरक्षण की मांग कर रहे हैं. जाटों की मांग है कि इन्हें कानूनी रूप से आरक्षण दिया जाए. साथ ही पिछले आंदोलन में मारे गए लोगों के परिवारों को सरकारी नौकरी और आंदोलनकारियों पर दर्ज केस वापस लिए जाएं. जिन जाटों की दुकानें जलीं, उनको मुआवजा मिले. हालांकि, पिछली बार हरियाणा सरकार जाटों को ओबीसी कोटे से आरक्षण दे चुकी है लेकिन ये मामला हाईकोर्ट मेंअटक गया है.
अंदर की बात ये है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस बार चौधरी अजित सिंह अकेले लड़ रहे हैं और उनकी नजर भी जाट वोटरों पर ही है, जिन्होंने 2014 के चुनाव में बीजेपी का खुलकर साथ दिया था. आरएलडी का समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन में शामिल ना होना बीजेपी के लिए पहले से ही शुभ संकेत नहीं था.
अब ऐन मौके पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश से सटे हरियाणा में जाट आंदोलन ने बीजेपी की चिंता और बढ़ा दी है. मामला जाट बनाम मुस्लिम की बजाय हिंदू बनाम मुस्लिम हो तो बीजेपी का भला हो सकता है, इसीलिए बीजेपी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रचार के लिए योगी आदित्यनाथ जैसे फायरब्रांड हिंदूवादी नेता को भी उतार दिया है.