नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में आज हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति को लेकर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट से मांग की है कि जजों की नियुक्ति को लेकर दाखिल याचिका खारिज की जाए. ये मामला सरकार और CJI के बीच का है. सरकार ने कहा कि जजों की नियुक्ति का मामला प्रशासनिक स्तर का है और इसे लेकर समानांतर न्यायिक सुनवाई नहीं चल सकती.
इस दौरान सरकार ने कहा कि अगर CJI सरकार से कोई जानकारी मांगते हैं तो सरकार देने को तैयार है. सरकार पहले ही CJI को जजों की नियुक्ति के लिए MOP दे चुकी है. दो महीने में समाधान निकलने की उम्मीद है. वहीं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इस मामले को ऐसे नहीं निपटा सकते. मामले की सुनवाई एक महीने बाद करेंगे.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम की तरफ से भेजे गए 77 नामों में से 34 को सरकार ने मंजूरी दी थी. कॉलेजियम सरकार के द्वारा लौटाए गए 43 नाम दोबारा सरकार को भेज चुका है.
इसस पहले 2 दिसंबर 2016 को इसी मामले पर हुई सुनवाई में मुख्य न्यायधीश टीएस ठाकुर ने कहा था कि जजों की नियुक्ति प्रक्रिया को हाईजैक नहीं किया जा सकता. उन्होंने न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर जोर दिया. उन्होंने कहा है कि जजों को नौकरशाह और कार्यपालिका नियुक्त नहीं कर सकते. चीफ जस्टिस ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता बहुत जरुरी है.
उन्होंने कहा था कि NJAC (नेशनल ज्यूडिशियल एप्वाइंटमेंट कमेटी) न्यायपालिका की स्वतंत्रता को प्रभावित करने का एक प्रयास है. इससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती थी. शक्तिशाली संसद न्यायिक नियुक्तियों में शामिल होने की कोशिश करती है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को पिछले साल खारिज कर दिया था. उन्होंने कहा कि कई ऐसे मामले सामने आए हैं जब कार्यपालिका ने अपनी सीमाएं लांघी है.