नई दिल्ली: नोएडा आने से यूपी का हर मुख्यमंत्री घबराता है. वजह ये कि जो यहां आया उसकी सत्ता चली गई. कहा जा रहा है कि अखिलेश यादव नोएडा आकर इस मिथक को तोड़ सकते हैं.
दरअसल नोएडा को लेकर यूपी की राजनीति में एक बड़ा मिथक है. कहा जाता है कि नोएडा आने पर मुख्यमंत्री की कुर्सी चली जाती है. ये धारणा 1988 से ही बनी हुई है. 1988 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह नोएडा आए और उसके बाद चुनाव हार गए.
नोएडा आए, कुर्सी चली गई
मुख्यमंत्री नोएडा दौरा नतीजा
वीर बहादुर सिंह 1988 में नोएडा चुनाव हार गए
एनडी तिवारी 1989 में नोएडा आए सत्ता से बाहर
कल्याण सिंह 1999 में नोएडा आए सत्ता से बाहर
मुलायम सिंह यादव 1995 में नोएडा आए सत्ता चली गई
मायावती 2007-11 तीन बार नोएडा आईं, सत्ता में वापसी नहीं हुई
अखिलेश यादव की छवि युवा जोश और नई सोच वाले मुख्यमंत्री की है. अखिलेश लैपटॉप बांटने वाले और स्मार्टफोन का वादा करने वाले मुख्यमंत्री हैं. ऐसी सोच वाला मुख्यमंत्री एक वहम की वजह से अगर उत्तर प्रदेश की औद्योगिक राजधानी न आए तो सवाल उठने लगेंगे. अब तक अखिलेश नोएडा आने से बचते रहे हैं.
पिछले साल दिसंबर में भी अखिलेश यादव के नोएडा आने की चर्चा थी, लेकिन लखनऊ से ही उन्होंने कई योजनाओं का उद्घाटन कर दिया था. अब चुनाव का समय है और अखिलेश यादव के सामने अपनी विकासवादी और बडी सोच को साबित करने का मौका है.