नई दिल्ली. सीबीआई विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. सीबीआई के डीआईजी एमके सिन्हा की नागपुर तबादले के खिलाफ याचिका से शुरू हुआ ये विवाद आरोप-प्रत्यारोपों से बढ़ गया है. एमके सिन्हा के हलफनामे के बाद कई बड़े नाम जैसे मोदी सरकार के मंत्री हरिभाई चौधरी पर घूस लेने, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल, सीवीसी केवी चौधरी, कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा, कानून सचिव सुरेश चंद्रा वगैरह पर कई तरह के आरोप लगे.
फोन टेपिंग का खुलासा होने के बाद ही इन नामों का खुलासा हुआ. इनमें 34 से ज्यादा वीवीआईपी यानि की बड़े नाम शामिल हैं जिनमें से 3 केंद्रीय मंत्री और 2 मुख्यमंत्री भी शामिल हैं. इन फोन रिकॉर्डिंग से पता चला है कि एक मंत्री ने लालू यादव मामले में सीबीआई अफसर को निर्देश दिए. लालू यादव केस में चार्जशीट दाखिल करने, कोर्ट में कोई जवाब फाइल करने या गिरफ्तारी जैसा कदम उठाने से पहले उस मंत्री से सलाह लेने के निर्देश दिए गए थे. यहां तक की सीबीआई अधिकारियों ने केस से जुड़ी जानकारी फाइलों के जरिए उस मंत्री के पास दो बार भिजवाई भी.
वहीं एक कैबिनेट और एक राज्यमंत्री ने नीरव मोदी और विजय माल्या के पक्ष में बात की. इनके अलावा केंद्र में बड़ा पाने वाले सेवानिवृत्त आईपीएस आधिकारी, केंद्र सरकार के चार ज्वाइंट सेक्रेटरी भी इसमें शामिल हैं. सभी पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने अपनी सुविधा के अनुसार काम करवाने के लिए जांच एजेंसी सीबीआई के अधिकारियों को निर्देश दिए और उनके काम में दखल दी. केंद्र के मंत्रियों पर घूस लेने और सीबीआई के किसी केस में जांच से घिरे आरोपियों को बचाने का दबाव बनाने के भी आरोप लगे हैं.
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