नई दिल्ली : चुनाव में जीत के लिए नैतिक-अनैतिक चीजों की परिभाषा खत्म हो चुकी है. ऐसे में झूठ और अफवाह को जन-जन तक पहुंचाने में सोशल मीडिया सबसे आसान हथियार बन चुका है. किसी पार्टी के वॉर रूम से सुबह में निकला एक झूठ शाम तक लाखों-करोड़ों लोगों के मोबाइल पर डाउनलोड हो चुका होता है.
सोशल मीडिया पर क्या सच है और क्या झूठ, ये पकड़ना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन सा होता जा रहा है. चुनाव में तो सोशल मीडिया झूठ का थोक बाजार बन चुका है. पंजाब चुनाव में हारने जैसी बात करती हुई आप नेता संजय सिंह और कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर की चिट्ठी का वायरल होना अजूबा नहीं है लेकिन सवाल ये है कि ऐसा कर कौन रहा है.
चिट्ठियों में मिलती-जुलती भाषा
चुनाव के दौरान सोशल मीडिया पर अगर कोई ये झूठ फैला दे कि आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने अपनी ही पार्टी के पंजाब में हारने की चिट्ठी पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल को लिखी है तो उसे वायरल होने में घंटा नहीं लगेगा.
ठीक इसी तरह कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर का कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को फर्जी मेल भी मिनटों में वायरल हो जाता है कि पंजाब में पार्टी हार रही है इसलिए सोनिया गांधी या राहुल गांधी प्रचार करने ना आएं तो बेहतर होगा.
दोनों चिट्ठियों की भाषा पर गौर करें तो लगता है कि ये झूठ की किसी एक ही फैक्ट्री से निकला है. पंजाब में चुनाव सर्वेक्षणों में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का पलड़ा भारी चल रहा है ऐसे में पहले आप और फिर कांग्रेस के हारने की बात करने वाली चिट्ठियां फैलाने से फायदा किसको हो सकता है, ये बहुत बड़ी पहेली नहीं है.
जनता सच तलाश लेगी
संजय सिंह की चिट्ठी जहां कांग्रेस को जीतता हुआ दिखाकर केजरीवाल से पंजाब में रैलियां कम करने को कह रहे हैं ताकि हारने पर उनके सिर पर इसका ठीकरा ना फूटे और 2019 के आम चुनाव के हिसाब से उनकी इमेज बनी रहे.
वहीं प्रशांत किशोर की चिट्ठी सोनिया गांधी से गुजारिश कर रही है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह भी बुलाएं तो आप और राहुल गांधी प्रचार करने ना आएं क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अकाली दल के आग्रह के बावजूद पंजाब नहीं आ रहे हैं. प्रशांत किशोर की चिट्ठी आप को जिता रही है.
संजय सिंह ने अपनी फर्जी चिट्ठी के लिए प्रशांत किशोर की ओर इशारा किया है और चुनाव आयोग से लेकर पुलिस तक में इसकी शिकायत दर्ज करा दी है. जांच शुरू हो गई है लेकिन चुनाव नतीजों से पहले उसका कोई नतीजा नहीं आएगा, ये हम सबको पता है. झूठ और अफवाह का मकसद ही यही है. नतीजों से पहले काम कर जाओ. जब झूठ कई तरफ से आने लगे हैं तो जनता सच तलाश ही लेगी.